________________ विहिया-ऽणुट्ठाण-परो, सत्त-ऽणुरूवमियरं पि संधंतो / ' अन्नत्थ अणुवओगा खवयंतो कम्म दोसे वि.. // 78 // सव्वत्थ निरभिसंगो, आणा-मित्तम्मि सव्वहा जुत्तो / . . . एगग्ग-मणो धणियं तम्मि, तहामूढ-लक्खो य . // 79 // तह, तेल्ल-पत्ति-धारग-णाय-गओ, राहा-वेह-गओ वा।. . एअं चइए काऊं, ण उ अण्णो खुद्द-चित्तो त्ति / // 80 // एत्तो च्चिय णिट्ठिो पुव्वा-ऽऽयरिएहिं "भाव-साह" त्ति / / हंदि पमाण-ट्ठिअत्थो, तं च पमाणं इमं होइ // 81 // "सत्थुत्त-गुणो साहू, ण सेस" "इइ णे[णो]पइण्ण" इह हेऊ / "अ-गुणत्ता" इति णेओ दिट्ठ-ऽतो पुण, सु-वण्णं व (च) // 82 // विस-घाइ-रसा-ऽऽयण-मंगल-5-त्थ-विणए पयाहिणा-ऽऽवत्ते / गुरुए, अ-डज्झे, अ-कुत्थे अट्ठ सुवएण-गुणा हुंति // 83 // इह, मोह-विसं घायइ,-सिवोवएसा रसा-ऽऽयणं होइ / गुणओ अ मंगल-ऽत्थं कुणइ, विणीओअ "जोग्ग" ति।। 84 / / मग्ग-ऽणुसारि पयाहिणं, गंभीरो गुरुअओ तहा होइ / कोह-ऽग्गिणा अ-डज्झो अ-कुत्थो सइ सील-भावेण // 85 // एवं दिट्ठांत-गुणा सज्झम्मि वि एत्थ होति णायव्वा / ण हि साहम्मा-ऽभावे पायं जं होइ दिट्ठन्तो . // 86 // चउ-कारण-परिसुद्धं कस-छेअ-ताव-तालणाए अ। जं, तं विस-घाइ-रसा-ऽऽयणा-ऽऽइ-गुण-संजु होइ // 87 // इयरम्मि कसा-ऽऽइआ-विसिट्ठ-लेसा, तहेग-सारतं / . अवगारिणि अणुकंपा, वसणे अइ-णिच्चलं चित्तं // 88 // तं कसिण-गुणोवेअं होइ सुवण्णं, न सेसयं, जुत्ती / . ण वि णाम-रूव-मित्तेण, एवमऽगुणो हवइ साहू . // 89 // 30