________________ जुत्ती-सु-वण्णयं पुण सु-वण्ण-वण्णं तु जइ वि कीरिज्जा / ण हु होइ तं. सु-वण्णं सेसेहिं गुणेहिं अ-संतेहिं // 90 // जे इह सुत्ते भणिया साहु-गुणा, तेहिं होइ सो साहू / वण्णेणं जच्च-सु-वण्णयं व संते गुण-निहिम्मि // 91 // जो साहूं गुण-रहिओ भिक्खं हिंडइ, [ण होइ] कहं णु सो साहू ? | वण्णेणं जुत्ति-सु-वण्णयं वाऽसंते गुण-निहिम्मि // 92 // उद्दिट्ठ-कडं भुंजइ, छ-क्काय-पमद्दणो, घरं कुणइ / पच्चक्खं च जल-गए जो पिबइ, कहं णु सो [साहू ?] भिक्खू साहू? अण्णे उ कसा-ऽऽइआं किर एएऽत्थ हुंति णायव्वा / एयाहिं परिक्खाहिं साहु-परिक्खेह कायव्वा // 94 // तम्हा, जे इह सत्थे साहु-गुणा, तेहिं होइ सो साहू / / "अच्च-ऽत-सु-परिसुद्धेहिं मोक्ख-सिद्धि" ति काऊणं // 95 // अलमित्थ पसंगेणं एवं खलु होइ भाव-चरणं तु / "पडिबुज्झिस्संतऽण्णे" भाव-ऽज्जिय-कम्म-जोएणं // 96 // अ-पडिवडिअ-सुह-चिंता-भाव-ऽज्जिय-कम्म-परिणइए उ / एअस्स जाइ अंतं, तओ स आराहणं लहइ // 97 // णिच्छय-णया जमेसा चरण-पडिवत्ति-समयओपभिइ / आ-मरण-ऽतमऽ(ज)स्सं संजमपडिपालणं विहिणा // 98 // आराहगो य जीवो सत्त-ऽट्ठ-भवेहि सिज्झइ णियमा / संपाविऊण उ परमं हंदि अह-क्खाय-चारित्तं // 99 // दव्व-त्थय-भाव-त्थय-रूवं एअमिह होइ दट्ठव्वं / अण्णुएण-समणुविद्धं णिच्छयओ भणिय-विसयं तु // 100 // . "जइणो वि हु दव्व-त्थय-भेओ अणुमोयणेण अत्थि" त्ति / एअंच इत्थ णेयं इय सि[सुद्धं तंत-जुत्तीए // 101 // . 36.