________________ करणा-ऽऽइ, तिण्णि जोगा मणमा-ऽऽईणि उ हुंति, करणाई / आहारा-ऽऽई सण्णा, सवणा[सोत्ता]ऽऽइं इंदिया पञ्च // 55 // भोमाऽऽइ णव, अ-जीव-काओ अ पुत्थ-पणगं च / .. खंताऽऽइ-समण-धम्मो एवं सइ भावणा एसा . // 56 // भोमाइ णव जीवा, अजीव-काओ य, समण धम्मो उ / . खंताऽऽइ दस पगारो, एवं ठीए भावना एसा // 56/1 // ण करेइ मणेणाऽऽहार सण्णा-विप्पजढगो उ णियमेणं / सोइंदिय-संवुडो पुढवी-काय-आरंभं खंति जुओ // 57. // इय मद्दवा-ऽऽइ-जोगा पुहवी-काये हवंति दस भेया / . आउ-काया-ऽऽईसु वि इय एए पिंडियं तु सयं // 58 // सो-इंदियेण एअं सेसेहिं वि जं इमं तओ पञ्च / .. आहार-सण्ण-जोगा इय, सेसाहिं, सहस्स-दुगं // 59 // एअं मणेणं वयमा-ऽऽइएसु एअं ति छस्सहस्साई / ण करणं, सेसेहिं पि य, एए सव्वे वि अट्ठारा // 60 // इत्थ इमं विण्णेयं अ इदं-पज्जं तु बुद्धिमंतेहिं / 'एकम्मि वि सुपरिसुद्धं सील-उंगं सेस-सब्-भावे // 61 // इक्को वाऽऽय-पएसो अ संखेअ-पएस-संगओ जहउ / / एअं पि तहा णेयं, स-तत्त-चाआ इयरहा उ . // 62 // जम्हा समग्गमेयं पि सव्व-सावज्ज-जोग-विरईओ / तत्तेणेग-सरूवं ण खंड-रूवत्तणमुवेइ // 63 // एअं च एत्थ एवं विरइ-भावं पडुच्च दट्ठव्वं / ण उ बझं पि पवित्ति, जं सा भावं विना वि भवे // 64 // जह उस्सग्गम्मि ठिओ खित्तो उदगम्मि केण वि तवस्सी / तव्-वह-पवित्त-कायो अ-चलिअ-भावोऽ-पवत्तओ अ॥ 65 // . 39