________________ "जिण-पूआए विहाणं:-सूई-भूओ, तए चेव उवउत्तो / अण्ण-उंगमऽछिवन्तो करेइ जं [प]वर-वत्थूहि". // 31 // "सुह-गंध-धूव-पाणीय-सव्वोसहिमा-ऽऽइएहि ता ण्हवणं / कुंकुमगा-ऽऽइ-विलेवणमऽइ-सुरहिं मणहरं मलं" // 32 // विविह-निवेअणमाऽऽरत्तिगा-ऽऽइ धूव-थय-वन्दणं विहिणा / जह-सत्ति गीअ-वाइअ-णच्चण-दाणा-ऽऽइअं चेव // 33 // "विहिया-ऽणुट्ठाणमिणं." ति एवमेयं सया करिताणं / होइ चरणस्स हेऊ णो इह लोगादि-ऽवेक्खाए // 34 // एवं चिय भाव-ऽत्थए आणा-आराहणा उ रागो वि। . . . जं पुण एय-विवरियं, तं दव्व-थओ वि णो होइ // 35 // भावे अइ-प्पसंगो आणा-विवरीयमेव जं किंचि / / .. इह चित्ता-ऽणुट्ठाणं, तं दव्व-त्थओ भवे सव्वं // 36 // "जं वीयरायगामि, अह तं" "न णु सिट्ठणा-ऽऽदि वि स एवं / सियं ?" "उचियमेव जं तं". "आणा-ऽऽराहणा एवं" // 37 / / "जं पुण एअ-वियुत्तं एग-ऽतेणेव भाव-सुण्णंति / तं" विसयम्मि वि ण तओ भाव-थया-ऽहेउओ उचिओ॥ 38 // भोगा-ऽऽइ-फल-विसेसो उ अस्थि एत्तो वि विसय-भेएणं / / तुच्छो य तओ जम्हा हवइ पगार-उतरेणा वि // 39 // उचिया-ऽणुट्ठाणाओ विचित्त-जइ-जोग-तुल्लमो एस / जं ता कह दव्व-थवो ? तद्-दारेणऽप्प-भावाओ // 40 // जिण-भवणा-ऽऽइ-विहाण-दारेणं एस होइ सुह-जोगो / . उचिया-ऽणुट्ठाणं वि य तुच्छो जइ-जोगओ णवरं // 41 // सव्वत्थ णिरऽभिसंगत्तणेण जइ-जोगमो महं होई। एसो उ अभिसंगा कत्थइ तुच्छे वि तुच्छो उ / // 42 // 34