________________ "ता एअं मे वित्तं जदऽत्थ विणिओगमेति अणऽवरयं" / इय चिन्ताऽ-परिवडिया सा-[सु-आ]ऽऽसय-वुड्ढी उमोक्ख-फला "णिप्फाइय जयणाए जिण-भवणं सुदरं, तहिं बिंबं / विहि-कारियमऽह विहिणा पट्टविज्जा असंभंतो" // 20 // जिण-बिंब-कारण-विही,:-"काले संपूइऊण कत्तारं / विहवोचिअ-मुल्ल-ऽप्पणमऽण-ऽहस्स सुहेण भावेण" // 21 // "तारिसयस्साऽ-भावे, तस्सेव हिय-ऽत्थमुज्जओ णवरं / णियमेइ बिंब-मोल्लं जहोचियं कालमाऽऽसज्ज" // 22 // णिप्फण्णस्स य सम्मं तस्स पइट्ठावणे विही एसो "स-ट्ठाणे सुह-जोगे अहि-वासणमुचिय-पूआए" // 23 // चिइ-वंदण-थुइ-वुड्ढी, उस्सग्गो साहू सासण-सूरीए / थय-सरणं, पूआ काले, ठवणा मंगल-पुव्वा उ // 24 // "सत्तीए संघ-पूआ" "विसेस-पूआ उ बहु-गुणा एसा" / जं एस सुए भणिओ:-"तित्थयरा-ऽण-उतरो संघो" // 25 // "गुण-समुदायो संघो पवयणं, तित्थं, ति होइ एगऽट्ठा" / "तित्थयरो वि य एअं णमए गुरु-भावओ चेव" // 26 // "तप्पुब्विया अरहया, पूइय-पूआ य, विणय-कम्मं च / / कय-किच्चो वि जह कह कहेइ, णमए तहा तित्थं" // 27 // "एअम्मि पूइयम्मि, णऽत्थि तयं, जं न पूइयं होइ / भुवणे वि पूअणिज्जं ण अस्थि [ण गुण-ट्ठाणं]ठाणं तओ अण्णं "तप्पूआ-परिणामो हंदि महा-विसयमो मुणेयव्वो। तद्-देस-पूअओ वि हु देवय-पूआ-ऽऽइ-णाएण" // 29 // . "तत्तों य पइ-दिणं सो करिज्ज पूअं जिणिंद-ठवणाए / विभवा-ऽणुसार-गुरुई काले णिययं विहाणेणं" // 30 // 33