________________ "इय सव्वेण वि सम्मं सक्कं अप्पत्तियं सइ जणस्स / णियमा परिहरियव्वं" "इयरम्मि सत्तत्त-चिंताओ" // 7 // कट्ठा-ऽऽई वि दलं इह सुद्धं, जं देवता-ऽऽदुपवणाओ / . नो अविहिणोवणीअं, सयं च कारावियं जं नो // 8 // तस्स वि अ इमो णेओ सुद्धा-ऽसुद्ध-परिजाणणोवाओ, / तक्कह-गहणाओ जो सउणेयर सन्निवाओ उ // 9 // नन्दा-ऽऽइ-सुद्धो सद्दो, भरिओ कलसो,ऽथ सुन्दरा पुरुसा / सुह-जोगा-ऽऽई य सउणो, कंदिय-सझ-ऽऽई इयरो उ॥ 10 // सुद्धस्स वि गहियस्स पसत्थ-दिअहम्मि सुह-मुहुत्तेणं / ... संकामणम्मि वि पुणो विण्णेया सउणमा-ऽऽइया // 11 // कारणे वि य तस्सिह भियगाऽण-ऽतिसंधाणं न कायव्वं / अवि चाऽहिग-प्पयाणं दिट्ठा-ऽदिट्ठ-प्फलं एयं // 12 // ते तुच्छगा वराया अहिएण दढं उवेंति परितोसं / तुट्ठा य तत्थ कम्मं तत्तो अहियं पकुव्वंति // 13 // धम्म-पसंसाए तह केइ निबंधति बोहि-बीआई / अन्ने उ लहुअ-कम्मा एत्तो चिअ संपबुझंति // 14 // "लोगे अ साहु-वाओ, अ-तुच्छ-भावेण "सोहणो धम्मो" / "पुरिसुत्तम-पणीओ" पभावणा एवं तित्थस्स" - // 15 // "सा-[सु-आ]ऽऽसय-वुड्डीविइहंभुवण-गुरु-जिणिंद-गुण-परिण्णाए तबिंब-ठावण-ऽत्थं सुद्ध-पवित्तीइ णियमेणं" // 16 // "पेच्छिस्सं एत्थ अहं वंदणग-निमित्तमाऽऽगए साहू / .. कय-पुण्णे, भगवंते, गुण-रयण-निही, महा-सत्ते" // 17 // "पडिबुझिस्संति इह दट्टण जिणिंद-बिम्बमऽकलंकं / अण्णे वि भव-सत्ता काहिति ततो परम-धम्म" . // 18 // 32