________________ // 4 // तम्मत्थए खिवेई तो वंदिय पडिक्कमित्तु सो इरियं / गिण्हइ पोसहसामाइयाई तह तत्थ आसणयं. संदिस्सावइ पकरइ सज्झायं तेवियं चवीकम्मं / आलोयणाइ पुव्वक्कमेण दाऊण वंदणयं तत्तो कट्ठासणयं संदिस्सावेइ वंदिउं भणइ / कट्ठासणए ठायहं वंदित्ता पुणरवि भणेइ पव्वेयणं पवेयह इच्छाकारेण संदिसह अम्हे / वंदिय अमुगुवहाणस्स कए य तं उद्दिसावणियं अमुगं तवं करेमी एत्थ य वयणाइ जाइ किर भणइ / ताई गद्दसरेहिं (सुत्तेहिं) भणामि मंदावबोहत्थं अपूर्णा // 6 // // 7 // // 8 // 310