________________ श्री मानदेवसूरिविरचितसुबोधासामाचारीत उद्धृतः // उपधानविधिः // पंचनमोक्कारे किल दुवालसतवो उ होइ उवहाणं / . अट्ठ य आयामाई एगं तह अट्ठमं अंते एयं चिय नीसेसं इरियावहियाएँ होइ उवहाणं / सक्कत्थयम्मि अट्ठममेगं बत्तीस आयामा // 2 // अरिहंतचेइयथये उवहाणमिणं तु होइ कायव्वं / एगं चेव चउत्थं तिन्नि य आयंबिलाणि तहा एगं चिय किर छट्टुं चउत्थमेगं तु होइ कायव्वं / पणविसं आयामा चउवीसथयम्मि उवहाणं // 4 // एगं चेव चउत्थं पंच य आयंबिलाणि नाणथए / चिइवंदणाइसुत्ते उवहाणमिणं विणिद्दिटुं // 5 // अव्वावारो विगहाविवज्जिओ रोद्दझाणपरिमुक्को / विस्सामं अकुणंतो उवहाणं कुणइ उवउत्तो .. // 6 // अह कह वि होइ बालो वुड्डो वा सत्तिवज्जिओ तरुणो। सो उवहाणपमाणं पूरेज्जा आयसत्तीए // 7 // राईभोयणविरई दुविहं तिविहं चउव्विहं वा वि / नवकारसहियमाई पच्चक्खाणं विहेऊणं // 8 // एगेण सुद्ध आयंबिलेण इयरेहिं दोहि उववासो / नवकारस्सहिएहिं पणयालिसाएँ उववासो // 9 // पोरिसि चउवीसाए होइ अवड्डेहिं दसहिं उववासो / . विगईचाएहिं तिहिं एगट्ठाणेहि य चऊहिं - // 10 // आयरणाओ नेयं पुरिमड्डा सोलसेहिं उववासो। एगासणगा चउरो अट्ठ य बेकासणा तहय // 11 // 320