________________ एगं अचालणेणं ठाणं अंगाण जत्थ तं भणियं / एगट्ठाणं तम्मी आगारा हुंति सत्तेव // 132 // (एगट्ठाणं पच्चक्खाइ चउव्विहं पि आहारमित्यादि / ) जह एगासणमुत्तं एगट्ठाणं पि तह मुणेयव्वं / आउंटणप्पसारणमिह आगारो नवरि नत्थि मुहहत्थवज्जियाणं अंगावयवाण चालणारहियं / होइ इमं नियमेणं तम्हा सत्तेत्थ आगारा // 134 // आयंबिलसुत्तत्थं अहुणा वोच्छामि तत्थ सुत्तमिमं / आगारटुगसहियं. पन्नत्तं लोगनाहेहिं // 135 // आयंबिलं पच्चक्खाइ अन्नत्थणाभोगेणं सहसागारेणं लेवालेवेणं उक्खित्तविवेगेणं गिहत्थसंसटेणं पारिट्ठावणियागारेणं महत्तरागारेणं सव्वसमाहिवत्तियागारेणं वोसिरई / आयाममंबिल च्चिय पाएणं वंजणो जहिं भत्ते / कुम्मासोयणसत्तुगपमुहे आयंबिलं तंति // 136 // तग्गय पच्चक्खाणं भण्णइ आयंबिलं ति तस्सत्थो / जह पुव्वं तह नेओ नवरि विसेसो इमो एत्थ // 137 // जं पच्चक्खइ तं चिय भोत्तव्वं अज्ज मेत्ति नियमेइ / / जम्हा पवित्तिवयणो निवित्तिवयणो य वयसद्दो // 138 // लेवो मुणिभोयणभाणस्स विगईय लेवडेणं वा / एवं लित्तस्स पुणो कराइणा सोहणमलेवो // 139 // लेवो य अलेवो .य लेवालेवं तओ य अन्नत्थ / भाणे खीराइऽवयवभावे वि न होइ भंगो त्ति // 140 // सुक्कोयणाइभत्ते अद्दवदहिमाइ निवडियं दव्वं / इह उक्खित्तं भण्णइ तस्स विवेगो समुद्धरणं // 141 // 283