________________ तो सम्मं तम्मि कए अंबिलपाउग्ग भोयणे भुत्ते / तदजोगफासिए वि हु न होइ भंगो त्ति परमत्थो. // 142 // जावइयं उवजुज्जइ तावइयं भायणे गहेऊणं / जलनिब्बुढें काउं भोत्तव्वं एस एत्थ विही // 143 // दायगगिहिणो संबंधि भायणं जं करोडगाईयं / / संसटुं उवलित्तं विगईए लेवडेणं च // 144 // . ता तेण दीयमाणं अकप्पदव्वेण होइ सम्मिस्सं / न य तं भुंजंतस्स वि भंगो भवइ ति भावत्थो // 145 // वोसिरइ अणायंबं धुत्तं आयंबिलं अओ वोच्छं / पंचागारसमेयं अभत्तटुं गणहरुद्दिटुं // 146 // नो भत्तेणं अट्ठो पओयणं सो अभत्तट्ठो / पच्चक्खाणविसेसो तत्थ इमं वन्नियं सुतं // 147 // सूरे उग्गए अभत्तटुं पच्चक्खाइ चउव्विहंपि आहारं असणं पाणं खाइमं साइमं, अन्नत्थणाभोगेणं सहसागारेणं पारिद्वावणियागारेणं महत्तरागारेणं सव्वसमाहिवत्तियागारेणं वोसि // आहारागाराणं अत्थो एत्थं पि तह मुणेयव्वो।। जह पुव्वं निद्दिट्ठो नवरि विसेसो इमो नेओ // 148 // सूरम्मि उग्गयम्मि सूरोदयवेलमाइओ काउं। अभतटुं पच्चक्खइ कायव्वमिणंति गिण्हेइ // 149 // वोसिरइ य भत्तटुं चउहाहारं च जइ पुणो कुणइ / पोरिसिपुरिमेगासणअभतढे तिविह आहारे // 150 // तो पाणगमुद्दिसिउं लेवाडेणेवमाइयं कुणइ / . . आगाराणं छक्कं तत्थ य सुत्तं इमं भणियं // 151 // 294