________________ तं पच्चक्खाइ विहेययाए अंगीकरेइ सेसत्थो / एत्थ वि तहेव नेओ नवरि विसेसो इहं एसो // 108 // सागारिओगिहत्थो परलिंगी वा स एव आगारो / पच्चक्खाणववाओ भन्नइ सागारियागारो // 109 / / सागारियस्स पुरओ जम्हा भोत्तुं न कप्पइ जईणं / पवयणउवधायाओ एत्तो च्चिय आगमे भणियं // 110 // छकायदयावंतो वि संजओ दुल्लहं कुणइ बोहिं / / आहारे नीहारे दुगुंछिए पिंडगहणे वा // 111 // तो भुंजंतस्स जया सागरिओ आगओ थिरो होज्जा / . सज्झायाइविघाओ त्ति गंतुमनत्थ तो भुंजे // 112 // गिहिणो पुण सागरिओं जच्चक्खुनिरिक्खियं न जीरेज्जा / अन्नं वा पाणभयं जत्तो होज्जा धणभयं वा // 113 // आउंटणं च जंघाइयाण संकोयणं मुणेयव्वं / . आकुंचियाण तेसिं पसारणं इह रिजूकरणं . // 114 // असहू नरेण तम्मी कीरंते किंचि आसणं चलइ / तत्तो तं मोत्तूणं पच्चक्खाइ त्ति भावत्थो // 115 // एत्थ गुरू आयरिओ पाहुणगो वावि तस्स कायव्वं / / अब्मुट्ठाणं आसणचयणं जीयंति सयकालं . // 116 // तम्हा भुंजतेण वि अब्भुट्ठाणं इमस्स कायव्वं / मुरुलांघवचिंताए जम्हा धम्मो समक्खाओ // 117 // पारिद्यावणियं पुण उग्गमउप्पायणेसणासुद्धे / विहिगहिए विहिभुत्ते उव्वरियं जमसणाईहिं // 118 // छडिज्जते दोसा बहुतरगा तत्थ हुंति तो गुरुणा / भणिओ वियरेज्ज तयं अट्ठमछट्ठाइकारीणं // 119 // - 21