________________ सूरे उग्गए पुरिमड्ढं पच्चक्खाइ, चविहंपि आहारं असणं पाणं खाइमं साइमं, अन्नत्थणाभोगेणं सहसागारेणं पच्छन्त्रकालेणं दिसामोहेणं साहुवयणेणं महत्तरागारेणं सव्वसमाहिवत्तियागारेणं वोसिइ त्ति / सूरुग्गमाइयाणं पयाण अत्थो इहेव तह चेव / जह पोरिसीएँ भणिओ.नवरि विसेसो इमो इत्थ // 100 // पुरिमं पढमं अद्धं दिणस्स पुरिमड्डमेयविसयं तु / पच्चक्खाणं पि भवे पुरिमटुं तइयगो नियमो // 101 // मयहरयं गुरुतरयं पच्चक्खाणाणुपालणाओ वि। . बहुनिज्जरानिमित्तं तहेव पुरिसंतरासज्झं // 102 // चेइयगिलाणसंघाइयाण कज्जं तमेव आगारो / पच्चक्खाणऽववाओ भन्नइ इह महयरागारो // 103 // तेणं भुंजंतस्स वि गुरुणो आणाए निरभिलाभस्स / तं चेव फलं जायइ पच्चक्खाणस्स जं भणियं // 104 // एयस्सिहेव गहणं न पुणो नवकारसहियमाईसु / कालस्सऽप्पबहुत्तं मन्नामो कारणं तत्थ // 105 // वक्खायं पुरिमर्ल्ड इण्डिं एक्कासणं पवक्खामि / / तत्थ य सुत्तं इणमो अट्ठविहागारसंजुत्तं // 106 // एक्कासणं पच्चक्खाइ चउव्विहंपि आहारं असणं पाणं खा साइमं, अन्नत्थणाभोगेणं सहसागारेणं सागारियागारेणे आउंटणपसारेणं गुरुअब्भुट्ठा- जेणं पारिट्ठावणियागारेणं महत्तरागारेणं सव्वसमाहिवत्तियागारेणं वोसिइ / एवं असणं अहवा वि आसणं जत्थ निच्चलपुयस्स / तं एक्कासणमुत्तं इगवेलाभोयणे नियमो // 107 // 20