________________ को वि हु कहिं पि देसे दिसिमोहा पच्छिमंति पुव्वं पि / कलिऊण गओ पहरो इमोऽवरण्हो त्ति बुद्धीए . // 88 // भुंजेज्जा न य भंगो मोहावगमाइणा उ विनाए / ठायव्वं नो ठायइ जइ निरवेक्खस्स तो भंगो // 89 // साहुवयणं तु एत्थं उग्घाडा पोरिसि त्ति एमाई / सोच्चा भुंजतऽदोसो नाए पुण इह वि ठाएज्जा // 90 // एत्थ इमो भावत्थो जइणो भासंति सच्चमेव गिरं / तो ते च्चिय गज्झवया न जहिच्छावाइणो इयरे // 91 // भासादोसविहिन्नू साहू साहुस्स कारणवसेणं / साहइ कालपमाणं पोरिसिपुरिमड्ढमाईयं // 92 // तं सोउं भुंजंतो पच्चक्खाणस्स होइ न हु भंगो / अहऽणाभोगा मुणिणा कालपमाणं समुल्लवियं // 93 // अन्नो वा उवलद्धो ठायव्वं तत्थ मुहगयं सव्वं / रक्खाइसु खिवियव्वं हत्थगयं भायणे चेव . // 94 // आयमिउं इहरा वा खमियव्वं जाव पुज्जए नियमो / पुण्णे पच्चक्खाणे पुणो वि भुंजेज्ज सरिऊणं // 95 // सव्वसमाही एसा गाढायंकाइविरहियत्तं जं / तप्पच्चयआगारो तीए च्चियं पच्चक्खाणं ति // 96 // तिव्वसूलाइदुक्खा संजाए अट्टरोद्दझाणम्मि.। तस्सोवसमनिमित्तं ओसहपत्थाइकरणे वि // 97 // नो भंगो संपज्जइ दुक्खावगमे समाहिलाभे उ / ठायव्वं नो ठायइ तो भंगो होइ नियमस्स // 98 // पोरिसिपच्चक्खाणं भणियं संपइ भणामि पुरिमड्ढे / तत्थ य एयं सुत्तं सत्तविहागारसंजुत्तं // 99 // 289