________________ // 43 // // 47 // न य संकेइगतुल्लं एवं एयं मुहुत्तमज्झे वि / नवकारपाढमेत्ते न पुज्जई जेणिमं किंतु नवकारमुहुत्तेहिं पुज्जइ जम्हा सुए इमं भणियं / अद्धापच्चक्खाणं सूरुदयविसेसणपयाओ // 44 // पोरिसिपच्चक्खाणे सूरुदयविसेसणेण जह पढमा / पोरिसि लब्भइ एगा पढममुहुत्तो तहेहं पि // 45 // सुत्ते अविसेसे वि हु मुहुत्तअवहीए कारणं एत्था / अइथोवागारत्तं थोवे काले मुणेयव्वं // 46 // पोरिसिमाईयाणं मुहुत्तविरहेण लहुयरो अवही / अन्नो न कोइ भणिओ तम्हा गाहा इमा तत्थ अद्धापच्चक्खाणं जं तं कालप्पमाणछेएणं / . पुरिमड्डपोरिसीहिं मुहुत्तमासद्धमासेहिं / // 48 // तम्हा मुहुत्तविगमे नवकारे भासिए हवइ पुण्णं / . एयं पच्चक्खाणं तत्थ य सुत्तं ‘इमं नेयं . // 49 // उग्गए सूरे नमुक्कारसहियं पच्चक्खाइ, चउन्विहं पि आहारं पाणं खाइमं साइमं, अन्नत्थऽणाभोगेणं सहसागारेणं वोसिइ / तत्थुग्गयम्मि सूरे सूरुदयाओ समारभेऊण / नवकारस्सहियं जे पच्चक्खाईत्ति गिण्हेइ . // 50 // कह चउविहं पि न पुणो एगविहं चेव दुविहमेवऽहवा / / तिविह चेवाहारं अब्भवहारं समासज्ज़ // 51 // अहव नवकारसहियं पच्चक्खइ तत्थ चउहमाहारं / वोसिरइ वज्जेई इय संबंधो मुणेयव्वो // 52 // एयं किर पाएणं चउव्विहाहारगोयरं चेव / रयणीभोयणविरमणतीरणपायंतिकाऊणं // 53 // 285