________________ // 19 // // 20 // // 21 // // 22 // // 23 // // 24 // तइए गुरू अजाणं जेट्ठो भाया व माउलाई वा / गुरुपूइउत्ति काउं तस्स उ पूया कया होउ . अप्पत्तियं च एयस्स बज्जियं होउ कारणेणेवं / गिण्हइ पच्चक्खाणं इहरा दोसो अगीयम्मि जो पुण सयं न याणइ गिण्हइ पासे अयाणमाणस्स / सो सयमंधो लग्गइ मग्गे अन्नस्स अंधस्स . इय नाऊणं सम्मं जाणंतो जाणगस्स पासम्मि / कुज्जा पच्चक्खाणं मोक्खफलं जेण तं होइ भणियं गहणविहाणं संखेवेणं सुयाणुसारेणं / इण्डिं छव्विहसुद्धि तह चेव भणामि एयस्स सा पुण सद्दहणे जाणणे य विणएऽणुभासणे तह य / अणुपालणम्मि भावे छव्विहसुद्धी मुणेयव्वा पच्चक्खाणवियारं सयलं सद्दहइ तह य जो मुणइ / तस्स उ पच्चक्खाणं सद्दहणाजाणणासुद्धं . जं काउं किइकम्मं दरोणओ पंजलीऽभिमुहवयणो / गिण्हइ पच्चक्खाणं तं भण्णइ विणयसुद्धं तु अणुभासइ गुरुवयणं अक्खंरपयवंजणेहिं परिसुद्धं / गुरुसद्दलहुयसद्दो तं जाणऽणुभासणासुद्धं . पच्चक्खइ वोसिरई एवं नवरं गुरू समुच्चरइ / सीसो पच्चक्खामि त्ति वोसिरामि त्ति भासेइ तथा-पच्चक्खाया. सूरी पंचविहायारधारगो गीओ / सीसं पडुच्च: जम्हा आहारनिसेहणं कुणइ पच्चक्खावितो पुण सीसो समुवट्ठिओ सयं चेव / नियगाहारनिसेहे. पउंजई गुरुजणं जेण // 25 // // 26 // // 27 // // 28 // // 29 // // 30 // __283