________________ गहणे विहिं 1 विसुद्धिं 2 सुत्तवियारं च 3 पारणंविहिं च 4 / सयपालणं 5 फलं चिय 6 एयस्स भणामि ऽहाकमसो // 7 // नवकाराई सुत्तं सव्वं पयवंजणेहि जाणंतो / अत्थं च तस्स सम्मं आहारागारमाईयं .. // 8 // सूरे अणुट्ठिए च्चिय गुरुणो चरणुज्जयस्स गीयस्स / . काऊण सुत्तविहिणा विणयं किंइकम्ममाईयं // 9 // गिण्हइ पच्चक्खाणं उर्वउत्तो सावगो व साहू वा / अणुभासंतो वयणं गुरुणो लहुतरसरेणं च // 10 // गुरुविरहे पडिवज्जइ वियप्पमेत्तेण उस्सुगो संतो। . अहवा सुत्तं भणिउं ससक्खिगं चेव थिरचित्तो // 11 // जिणबिंबसक्खिगं वा ठवणायरियस्स अहव पच्चक्खं / गिण्हइ पच्चक्खाणं जं करणिज्जं तहिं काले // 12 // पच्छा गुरुसंजोगे सयंगिहीयं पुणो वि तप्पुरओ / गुरुसक्खिगत्तहेडं पडिवज्जइ पुव्वनीतीए // 13 // गुरुसामग्गीअभावे सम्मं पालेइ जं सयं विहियं / परमुस्सुगत्तगहियं सयमेव पुणो कुणइ विहिणा // 14 // केवलमिह चउभंगो जाणंतो जाणगस्स पासम्मि / बीओ अयाणमाणो गिण्हइ जाणंतगसमीवे // 15 // तइयम्मि जाणमाणे गिण्हइ पासे अयाणमाणस्स / चरिमे अयाणमाणो अयाणमाणस्स मूलम्मि // 16 // एत्थ य पढमो सुद्धो सम्मन्नाणस्स तत्थ भावाओ। .. विरईए नाणं चिय सुद्धीए कारणं जेणं . // 17 // बीए जाणावेउं ओहेणाहारविगइमाईयं / .. .. देज्जा पच्चक्खाणं इहरा दोण्ह वि मुसावाओ . // 18 // 282