________________ // 29 // // 30 // // 31 // // 32 // // 33 // // 34 // देवे गुरुम्मि तत्ते अस्थि नवत्थित्ति संसओ संका / कंखा कुमयभिलासो. दयाइगुणलेसदसणओ . विचिगिच्छा सफलं पइ संदेहो मुणिजणम्मि उ दुगंछा / गुणकित्तणं पसंसा परिचयकरणं तु संथवणं सम्मइंसणजुत्तो, सइ सामत्थे पभावगो होइ / सो पुण इत्थ विसिट्ठो, निद्दिट्टो अट्ठहा सुत्ते पावयणी धम्मकही वाईनेमित्तिओ तवस्सी य / विज्जा सिद्धो य कवी, अद्वैव पभावगा भणिया कालोचियसुत्तधरो, पावयणी तित्थवाहगो सूरी / पडिबोहियभव्वजणो धम्मकही कहणलद्धिल्लो वाई पमाणकुसलो, रायदुवारे वि लद्धमाहप्पो / नेमित्तिओ निमित्तं, कज्जम्मि पउंजए निणं जिणमयमुब्भासंतो, विगिट्ठखमणेहि भण्णइ तवस्सी / सिद्धो बहुविज्जमन्तो, विज्जासिद्धो य उचियन्नू . संघाइकज्जसाहग-चुण्णंजणजोगसिद्धओ सिद्धो / भूयत्थसत्थगन्थी, जिणसासणजाणओ सुकई सव्वे पभावगा ए, जिणसासणसंसकारिणो जे ऊ। भंगतरेण वि जओ, एए भणिया जिणमयम्मि अइसेसिड्ढि धम्मकहि वाइ आयरिय खवग नेमित्ती / विज्जारायागणसम्मओ य तित्थं पभावंति इय संपत्तिअभावे, जत्तापूयाइ जणमणोरमणं / जिणजइविसयं सयलं, पभावणा सुद्धभावेणं सम्मत्तभूसणाई, कोसल्लं तित्थसेवणं भत्ती / थिरया पभावणाविय, भावत्थं तेसि वुच्छामि // 35 // // 36 // // 37 // // 38 // // 39 // // 40 // 275