________________ // 68 // // 69 // // 70 // // 71 // || 72 // // 73 // गडरिगपवाहेणं गयाणुगइयं जणं वियाणंतो / परिहरइ लोगसन्नं सुसमिक्खियकारओ धीरो . नत्थि परलोगमग्गे पमाणमन्नं जिणांगमं मोत्तुं / आगमपुरस्सरं चिय करेइ तो सव्वकिच्चाई अणिगृहितो सत्तिं आयाबाहाए जह बहुं कुणइ / आयरइ तहा सुमई दाणाइचउव्विहं धम्मं हियमणवज्जं किरियं चिंतामणिरयणदुलहं लहिउं / सम्मं समायरंतो न हु लज्जइ मुद्धहसिओ वि . देहट्ठिइनिबंधणधणसयणाहारगेहमाईसु / निवसइ अरत्तदुट्ठो संसारगएसु भावेसु उवसमसारवियारो बाहिज्जइ नेय रागदोसेहिं / मज्झत्थो हियकामी असग्गहं सव्वहा चयइ भावेतो अणवरयं खणभंगुरयं समत्थवत्थूणं / संबद्धो वि धणाइसु वज्जइ पडिबंधसंबंधं संसारविरत्तमणो भोगुवभोगा न तित्तिहेउ त्ति / नाउं पराणुरोहा पवत्तई कामभोगेसु वेस व्व निरासंसो अज्जं कल्लं चयामि चितंतो / परकीयं पिव पालइ गेहावासं सिढिलभावो इय सतरसगुणजुत्तो जिणागमे भावसावगो भणिओ / एस उण कुसलजोगा लहइ लहु भावसाहुत्तं एयस्स उ लिंगाई सयला मग्गाणुसारिणी किरिया / . सद्धा पवरा धम्मे पन्नवणिज्जत्तमुजुभावा किरियासु अप्पमाओ आरंभो सक्कणिज्जणुट्ठाणे / / गुरुओ गुणाणुराओ गुरुआणाराहणं परमं 26 // 74 // // 75 // // 76 // // 77 // // 78 // // 79 //