________________ // 56 // = // 57 // = // 58 // // 59 // // 60 // // 61 // भावगयाई सतरस मुणिणो एयस्स बिति लिंगाई / जाणियजिणमयसारा पुव्वायरिया जओ आहु इत्थंदियत्थसंसारविसयआरंभगेहदंसणओ / गडरिगाइपवाहे पुरस्सरं आगमपवित्ती दाणाइ जहासत्ती(ति) पवत्तणं विहीअरत्तदुढे य / मज्झत्थमसंबद्धे परत्थकामोवभोगी य वेसा इव गिहवासं पालइ सत्तरसपयनिबद्धं तु / भावगयभावसावगलक्खणमेयं समासेण इत्थीमणत्थभवणं चलचित्तं नरयवत्तिणीभूयं / जाणंतो हियकामी वसवत्ती होइ न हु तीसे इंदियचवलतुरंगे दोग्गइमग्गाणुधाविरे निच्चं / . भावियभवस्सरूवो रंभइ सन्नाणरस्सीहिं सयलाणत्थनिमित्तं आयासकिलेसकारणमसारं / नाऊण धणं धीरो न हु लुब्भइ तम्मि तणुयं पि दुहरूवं दुक्खफलं दुहाणुबन्धिं विडंबणारूवं / संसारमसारं जाणिऊण न रई तहिं कुणइ खणमेत्तसुहे विसए विसोवमाणे सया वि मन्नंतो / तेसु न करेइ गिद्धिं भवभीरू मुणियतत्तत्थो वज्जइ तिव्वारंभं कुणइ अकामो अनिव्वहंतो उ। थुणंइ. निरारंभजणं दयालुओ सव्वजीवेसु गिहवासं पासं पिव मन्नतो वसइ दुक्खिओ तम्मि / चारित्तमोहणिज्जं निज्जिणिउं उज्जमं कुणइ अत्थिक्कभावकलिओ पभावणा वनवायमाईहिं / गुरुभत्तिजुओ धीमं धरेइ सइ दंसणं विमलं 25 // 62 // // 63 // = = // 64 // = // 66 // // 67 //