________________ // 44 // // 45 // // 46 // // 47 // // 48 // // 49 // पढणाईसज्झायं वेरग्गनिबंधणं कुणइ विहिणा / तवनियमवंदणाईकरणम्मि य निच्चमुज्जमइ . अब्भुट्ठाणाईयं विणयं नियमा पउंजइ गुणीणं / अणभिनिवेसो गीयत्थभासियं नन्नहा मुणइ .. सवणकरणेसु इच्छा होइ रुई सद्दहाणसंजुत्ता / एईए विणा कत्तो सुद्धी सम्मत्तरयणस्स उजुववहारो चउहा जहत्थभणणं अवंचिगा किरिया / हुंतावायपगासण मेत्तीभावो य सब्भावा अन्नहभणणाईसुं अबोहिबीयं परस्स नियमेण / . तत्तो भवपरिवुड्ढी ता होज्जा उज्जुववहारी सेवाए कारणेण य संपायणंभावओ गुरुजणस्स / सुस्सूसणं कुणंतो गुरुसुस्सूसो हवइ चउहा सेवति कालम्मि गुरुं अकुणंतो ज्झाणजोगवाघायं / सयवनवायकरणा अन्ने वि पवत्तई तत्थ ओसहभेसज्जाई सओ य परओ य संपणामेइ / सइ बहुमन्नेइ गुरुं भावं चऽणुवत्तए तस्स सुत्ते अत्थे य तहा उस्सग्गववायभावववहारे / जो कुसलत्तं पत्तो पवयणकुसलो तओ छद्धा उचियमहिज्जइ सुत्तं सुणइ तयत्थं तहा सुतित्थम्मि / उस्सग्गववायाणं विसयविभागं वियाणाइ वहइ सइ पक्खवायं विहिसारे सव्वधम्मणुट्ठाणे / . देसद्धादणुरूवं जाणइ गीयत्थववहारं एसो पवयणकुसलो छब्भेओ मुणिवरेहि निद्दिद्यो / किरियागयाई छ च्चिय लिंगाई भावसड्ढस्स. // 50 // // 51 // // 52 // // 53 // // 54 // 264