________________ // 8 // // 9 // // 10 // // 11 // // 12 // // 13 // खुद्दो त्ति अगंभीरो उत्ताणमई न साहए धम्मं / सपरोवयारसत्तो अक्खुद्दो तेण इह जोग्गो संपुन्नंगोवंगो पंचिंदिवसुंदरो सुसंघयणो / होइ पभावणहेऊ खमो य तह रूववं धम्मे पयईसोमसहावो न पावकम्मे पवत्तई पायं / हवइ सुहसेवणिज्जो पसमनिमित्तं परेसि पि इहपरलोयविरुद्धं न सेवए दाणवियसीलड्ढो / लोअप्पिओ जणाणं जणेइ धम्मम्मि बहुमाणं कूरो किलिट्ठभावो सम्मं धम्मं न साहिउं तरइ / इय सो न एत्थ जोगो जोगो पुण होइ अक्कूरो इहपरलोगावाए संभावेंतो न वट्टई पावे / बीहइ अयसकलंका तो खलु धम्मारिहो भीरू असढो परं न वंचइ वीससणिज्जो पसंसणिज्जो य / उज्जुमइ भावसारं उचिओ धम्मस्स तेणेसो उवयरइ सुदक्खिनो परेसिमुज्झिय सकज्जवावारो / तो होइ गज्झवक्कोऽणुवत्तणीओ य सव्वस्स लज्जालुओ अकज्जं वज्जइ दूरेण जेण तणुयं पि / आयरइ सयायारं न मुयइ अंगीकयं कह वि मूलं धम्मस्स दया तयणुगयं सव्वमेवणुट्ठाणं / सिद्धं जिणिदसमए मग्गिज्जइ तेणिह दयालू मेज्झत्थसोमदिट्ठी धम्मवियारं जहट्ठियं मुणइ / कुणइगुणसंपओगं दोसे दूरं परिच्चइ गुणरागी गुणवंते बहु मन्नइ निग्गुणे उवेहेइ / गुणसंगहे पवत्तइ संपत्तगुणं न मयलेइ 261 // 14 // // 15 // // 16 // // 17 // // 18 // // 19 //