________________ // 380 // एसा उवएसाली, सालीव विबुहहिययट्ठाणेसु। सुहभावसलिलसित्ता, फलेउ मणवंछियफलेण कुंजरनयरविसेसा-हवसरपसूण वरिसमज्झाण / सरिसक्खरनामेणं, रइयमियं सपरबोहट्ठा जाव सिरिवीरतित्थं, ताव इमा पंडियाण हिययम्मि। तहरयणा रयणावलि-सरिसा सिरिसाहणी होउ // 381 // // 382 // ... पू.आ.श्रीशान्तिसूरिविरचितम् ॥धर्मरत्नप्रकरणम् // नमिऊण सयलगुणरयणकुलहरं विमलकेवलं वीरं / धम्मरयणत्थिआणं जणाण वियरेमि उवएसं // 1 // भवजलहिम्मि अपारे दुलहं मणुयत्तणं पि जंतूणं / तत्थ वि अणत्थहरणं दुलहं सद्धम्मवररयणं जह चिंतामणिरयणं सुलहं न हु होइ तुच्छविहवाणं / गुणविभववज्जियाणं जियाण तह धम्मरयणं पि इगवीसगुणसमेओ जोगो एयस्स जिणमए भणिओ / तदुवज्जणम्मि पढमं ता जइयव्वं जओ भणियं // 4 // धम्मरयणस्स जोग्गो अक्खुद्दो रूववं पयइसोमो / लोगप्पिओ अकूरो भीरू असढो सुदक्खिन्नो लज्जालुओ दयालू मज्झत्थो-सोमदिट्ठि गुणरागी। . सक्कह सुपक्खजुत्तो सुदीहदरिसी विसेसन्नू वुड्ढाणुगो विणीओ कयन्नुओ परहियत्थकारी य / / तह चेव लद्धलक्खो इगवीसगुणेहिं संपन्नो // 7 // 20