________________ किंचूण पोरिसीए, अपडिक्कंतो य चरमकालस्स / सुअविहिणा आसीणो, पडिलेहइ पत्तनिज्जोगं // 356 // बीयाइए पोरिसीए, अणुपेहइ पुव्वगहियसुअमत्थं / भिक्खाकालंमिमुणी, गुरुपुरओ करइ उवओगं // 357 // आवस्सियाइ चलिओ, अच्चखित्तो अणाउलो असढो। जुगमित्तदत्तदिट्ठी, आयपरविराहणविमुक्को // 358 // अचियत्तं पडिकुटुं च, मामगं वा कुलं विवज्जतो। हिंडइ घराघरं सो, उक्कोसं जाव दोकोसं // 359 // वज्जिय बत्तीसगवे-सणाइ गहणेसणाइ दसदोसे। .... गुरुअतिहिगिलाणाणं, पविभत्तं गिण्हए भत्तं // 360 // अइसयसुअवायकहा, इएहिं गुरुओ जिणु व्व आयरिओ। तो सो सयं न हिंडइ, भिक्खाए परियरे संते // 361 // छुहपीडियावि रोगा-उरा वि अट्ठाणपरिकिलंता वि / भिंदंति भावियमणा, समणा न हु एसणं पायं . // 362 // तो वसहीए पविट्ठो, निसीहियाए पडिक्कमे इरियं / विहिणाऽलोइयनिम्मिय - सज्झाओ वीसमेइ खणं // 363 // कय आउराइकज्जो , संवरणं पारिउं छहि पएहिं। भुंजेइ अपरिसाडी, आलोए पंचगयदोसं // 364 // बहिया वियारमत्तग-धावणपमुहे करित्तु तो कज्जे / पहरम्मि चउत्थे सो, पडिलेहइ पत्तवत्थाई // 365 // तो काउं सज्झायं, तुरियंसे पडिकम्मित्तु कालस्स। . सत्तावीसं पेहेइ, थंडिले तदुवउत्तासो // 366 // अत्थमिए दिणनाहे, सव्ववियारस्स उ गुरुसमक्खं / गिव्हिय पओसकालं, पहरं पकरेइ सज्झायं / // 367 / / 58