________________ कायं तु निलंभिज्जा उस्सग्गेणासणंतरेणं. वा। कज्जे व पयर्सेतो, पए पए चिंतए जयणं // 332 // गमणट्ठाणनिसीयण-तुयट्टणगहणनिसिरणाइसु / कायं असंवरंतो, छण्हं पि विराहओ होइ .. // 333 // वरिसं सिरिसंतिजिओ, मइमं वज्जाउहो ठिओ पडिमं / गिरिथंभे थिरदेहो, जइज्ज तेणाणुमाणेण // 334 // चिट्ठति गुरुकुले गुरु-जणम्मि न हु चोइया वि कुप्पंति / उस्सासाई मुत्तुं, करंति गुरुसक्खियं सव्वं // 335 // पासत्थपरिचयं परि-चयंति वज्जंति तह अणाययणं / न वयंति य अहिगरणं, अज्जियलाभं न भुंजंति // 336 // सीयंति नावयासु, अवया दिति न हु पमायस्स। विम्हार्विति न अन्नं, कुक्कुयकंदप्पंहासेहिं - // 337 // पावसुयाणि न सिक्खंति, जाणमाणा वि नो पउंजंति / तेइत्थजोइजोइस-रसअंजणमंततंताई // 338 // सोहंति वत्थसिज्जाइ दूसणे न य मिहो विरुज्झति / निच्चं संविग्गमणा, वजंति अकालसज्झायं // 339 // वजंति निच्चवासं, सिज्जायररायनिययपिंडे उ। उसग्गववायविऊ, अणले दिक्खंति न कया वि // 340 // होउ विकारो मा वा, पुण नारीणं न वीससंति जओ। संते अवसंते वा, विसम्मि को वीससइ अहिणो // 341 // अट्ठमच्छट्ठचउत्थं, करंति वरिसचउमासपक्खेसु। . संजमजत्ताहेडं, भुंजंति न रूवबलहेडं // 342 // वसहिं सया विवित्तं, संजमजुग्गं अदूसियं खित्तं / गीयत्थं च सहायं, इच्छंतुवहिं अबहुमुल्लं / // 343 // 256