________________ आसवहेउपिहाणं, सम्मत्ताइहिं संवरो नेओ। पिहियासवो हि जीवो, सुतरिव तरेइ भवजलहिं // 320 // कम्माण पुराणाणं, निकंतणं निज्जरा दुवालसहा / विरयाण सा सकामा, तहा अकामा अविरयाणं // 321 // धम्मो जिणेहिं निरुवहि-उवयारपरेहिं सुट्ठ पण्णत्तो। समणाणं समणोवा-सयाण दसहा दुवालसहा // 322 // अहमुहगुरुमल्लय ठिय - लहुमल्लयजुअलसंठियं लोगं / धम्माइपंचदव्वेहि, पूरियं मणसि चिंतिज्जा // 323 // पंचिंदियत्तणाइय-सामग्गीसंभवे वि अइदुलहा / तत्तावबोहरूवा, बोही सोहि जियस्स जओ // 324 // भाविज्जंतं इइ भा-वणाहि कल्लाणसाहगं होइ। चलरसचलं पि चित्तं, पसनचंदस्स व जईणं // 325 // वयगुत्तीए साधू, पायं मोणेण वट्टए अहवा।। सच्चं पियमणवज्ज, कज्जम्मि पउंजए वयणं. // 326 // निवमंतिइब्भमाई, तहेव सद्देइ न पुण काणाई / न य संदिद्धे कज्जे, भासं ओहारिणि बेइ // 327 // आउस्स न वीसासो, कज्जस्स बहूणि अंतरायाणि / तम्हा साहूणं वट्ट-माणजोगेण ववहारो // 328 // दम्मे वसहे खज्जे, फले य थंभाइसमुचिए रुक्खे / गिज्झे अन्ने जणया-इयत्ति सयणे वि न लवेइ // 329 // राइसराईहिं कयाइ धीमं, पुट्ठो मुणी कूवतलायकज्जे / अस्थिति नस्थिति न बेइ पुण्णं, भवंति जं भूयवहंतराया // 330 // सावज्जणवज्जाणं, वयणाणं जो वियाणइ विसेसं / पावरयेणं न लिप्पइ, कया वि सो कालियज्जोव // 331 // 25