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________________ // 284 // // 285 // // 286 // // 287 // // 288 // // 289 // कुडिलगई कूरमई, होइ सयाचरणवज्जिओ मलिणो। मायाइ नरो भुयगु व्व दिट्ठमित्तो वि भयजणओ होइ अविससणिज्जो, उवहयकित्ती विरत्तसयणो य। परवंचणं कुणंतो, मायिल्लो वंचिओ विहिणा गुणतिमितिमिगिलसमं, सुचारुचारित्तचंदराहुवमं / नयपायवनइओहं, विबुहो बहुमन्नइ न लोहं कोहाइणो कसाया, नवमगुणं जंति लाभपरिगहिया / इक्को वि खंडिओ वि हु, वच्चइ दसमं गुणं लोहो कोहो माणो माया, तिन्नि वि लोभं विणा अणाह व्व / तत्तो कसायसिन्ने, मन्ने अस्सेव सामित्तं कीडियपयत्तमेलिय-धम्मकणाणं दवा इमे चउरो। उवसममद्दवअज्जव-संतोसजलेहिं जिप्पंति सव्वेसु वि तवेसु, कसायनिग्गहसमं तवो नत्थि। जं तेण नागदत्तो, सिद्धो बहुसो वि भुंजंतो अकसाइत्तं इच्छइ, जइ ता कुण इंदियाण निग्गहणं / मुत्तूण रागदोसे, पंचसु सद्दाइविसएसु हणइ रणम्मि अरिणो, अरीण सेणं पि भुअबलेण भडो / पिंडत्थे पंचरिऊ, निहणेउं सो वि किवु व्व सव्वत्थ अहयदप्पा, इंदियसप्पा न तं परिभवंति / हिययम्मि जस्स जग्गइ, इय अणुसिट्ठिमहामंतो परिमियमाउ जुव्वण-मसंठियं वाहिबाहियं देहं। . परिणइ विरसा विसया, अणुरज्जसि तेसु किं जीव धम्मधणवहारिणं, अणेगभवलक्खदुक्खकारिणं / / विसयाणं अरीणं पिव, को मइमं देइ अवयासं . // 290 // // 291 // // 292 // // 293 // // 294 // // 295 // વપર
SR No.004460
Book TitleShastra Sandesh Mala Part 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2005
Total Pages354
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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