________________ // 296 // // 297 // // 298 // // 299 // // 300 // माम्म। // 301 // बहुलद्धधणो तरुणो, चिरागओ सह मणाणुकूलाए / भज्जाए पंचविसए, भुंजतो जं लहइ सुक्खं . तो वंतराण सुक्खं, णंतगुणं भवणवासीणं तत्तो। तो जोइसाण वेमा-णियाण कमओ अणंतगुणं जा इत्तिएहिं दिव्वेहि, तुह न भोगेहिं पसमिया तिण्हा / सा कह समिही माणु-सएहिं तुच्छेहिं कलुणेहिं विसएसु सुहं पिच्छसि, न उ नरयं जीव कंडरीओव। जह मुच्छाए मच्छो, पिच्छइ मंसं न उण बडिशं सव्वो पुग्गलकाओ, सव्वं जलनिहिजलं च संमिलियं / न हु नारयाण सक्कइ, खुहं पिवासं उवसमेउं जे उण्हवेइया तत्थ, ते य इंह लोहगारअगणिम्मि / खित्ता चंदणसित्ता व, तावमणिति सव्वं पि. जे सीयनारया ते, इह हिमकुंडम्मि माहरयणीए। सुत्ता निव्वायगिहि व्व, सीयमवर्णिति तक्कालं . किं बहुणा अवरकयं, खित्तभवं नारयाण जं दुक्खं / तं जाणंतो वि जिणो, न सक्कए कहिउमनस्स इय चिंतंतो नारय-दुहाई तक्कारणेसु विसएसु / अणुरायमबंधतो, जिइंदिओ नणु मुणी होइ कम्माण बंधमुक्खो, जं अणुयत्तंति मणपरीणाम / / तम्हा मणजोगु च्चिय, गुरुओ तिण्हं पि जोगाणं मणवयणकायजोगा, सुसंवुडा तिनि हुँति गुत्तीओ। दिति किर दुप्पउत्ता, एए दुक्खोहमक्खोहं गिण्हंतु इंदियाई, नियनियविसये न कोइ वारेइ। जइ रागदोसकलुसिय-मेयं चिय होइ नो चित्तं . 253. // 302 // // 303 // // 304 // // 305 // // 306 // // 307 //