________________ ... // 191 // दाणं झाणं नाणं, अन्नं पि हु धम्मियं अणुट्ठाणं / सव्वं पि वालुयासाय-सनिहं भावणाहीणं . // 190 // दाणं संपत्तीए, सीलं पुण होइ भववित्तीए / तवचरणं सत्तीए, साहीणा भावणा नवरं कुलमेरापविमुक्को दव्वट्ठाविहियनाडयारंभो / भावणवसेण केवल-नाणं पत्तो इलापुत्तो // 192 // रयणीइ अट्ठमंसे, उटुंतो झाइउण परमेट्ठी। अव्वावडसुद्धमणो, करिज्ज सो धम्मजागरियं // 193 // कोऽहं मे का वत्था, किं च कुलं केव मज्झगुणनियमा। किं फासियं च न खित्तं, किं न सुअं धम्मसत्थं च // 194 / अहह मए विउसेण वि, हयासगिहवासपासपडिएण। कह नीणिज्जंति मुहा, मणिकोडी दुल्लहा दियहा // 195 // पढमवयम्मि वयं जे, गहिऊणं गुरुकुलम्मि निवसंति। अमुणिय घरवावारे, ते बालमुणि पणिवयामि // 196 // छम्मासियं पि छक्काय-संजयं पणिवयामि जाइसरं / वहरं वयरंगधरं, बालं पि अबालबुद्धिल्लं // 197 // पच्छा वि जे पवन्ना, इक्किकालंबणेण चारित्तं / पणमामि तेसिं पाए, चउण्हं पत्तेयबुद्धाणं // 198 // इय भाविऊण काउं, आवस्सयमिसि उग्गए सूरे। सुद्धमणदेहवत्थो, पढमं पूएइ गिहपडिमा तत्तो सव्विड्डीए, मागहवण्णिज्जमाणजसपसरो। अन्नेसि पि हु भावं, जणयंतो जिणहरं जाइ - // 200 पढमालोए पणओ, पडिमाओ तत्थ लोमहत्थेण / मोणी कयमुहकोसो, एसो निउणं पमज्जेइ . // 201 // 244 // 199 . .. ..