________________ वित्थरइ जसं वड्डइ, बलं च विलसंति विविहसिद्धिओ। सेवंति सुरा सिझंति, मंतविज्जा य सीलेण // 118 // किं मंडणेहिं कज्जं, जइ सीलेणं अलंकिओ देहो। .. कि मंडणेहिं कज्जं, जइ सीले हुज्ज संदेहो। // 119 // हंत नवं चिय नयणं, जंबुकुमारस्स किं पि आसि तया / रूवबहुया वि बहुया, जेण तिणाओ तणू दिट्ठा // 120 // नारीओ वि अणेगा, सीलगुणेणं जयम्मि विक्खाया। जासिं चरित्तसवणे मुणिणो वि मणे चमक्कंति // 121 // इत्थिं वा पुरिसं वा, निस्संकं नमसु सीलगुणपुटुं। इत्थिं वा पुरिसं वा, चयसु लहुं सीलपब्भटुं // 122 // पंडुत्तं पंडत्तं, दोहग्गमरुवया य अबलत्तं / दुस्सीलयालयाए, इणमो कुसुमं फलं निरओ // 123 // आरुग्गं सोहग्गं, संघयणं रूवमाउबलमउलं / अन्नं पि किं अदिज्ज, सीलव्वयकप्परुक्खस्स .. // 124 // गेही गेहिमणंतं, परिहरिय परिग्गहे नवविहम्मि / पंचमवए पमाणं, करिज्जा इच्छाणुमाणेण // 125 // जह जह लहेइ रिद्धि तह तह लोभो वि वड्डए बहुओ। लहिऊण दारुभारं, किं अग्गी कह वि विज्झाइ // 126 // सेवंते पहुं लंघंति सायरं सायरं भमंति भुवं / विवरं विसंति निवसं-ति पिउवणे परिग्गहे निरया // 127 // संतोसगुणेण अकिंचणो वि इंदाहियं सुहं लहइ। . इंदस्स वि रिद्धिं पाविऊण ऊणो च्चिय अतुट्ठो // 128 // आयासभयअवीसास-माइयं बहुपरिग्गहे दुक्खें। संतोसम्मि उ अक्खय-सुक्खं कविलस्स पच्चक्खं // 129 // 238