________________ जं इत्थ जणपसंसाइ, परभवे सुगइमाइ होइ फलं। मुक्काइ चोरियाए, तं जायं रोहिणेयस्स // 106 // ओरालिय वेउव्विय, परदारासेवणं पमुत्तूण / गेही वए चउत्थे, सदारतुढेि पवज्जिज्जा // 107 // दुरियगयगुरुयसालासु, कित्तिधवलत्तधूममालासु / वइरविरोयणअरणीसु, को रमइ अवररमणीसु // 108 // जं नागदत्तदइया, रन्ना विक्कमजसेण अवहरिया। बहुसु भवेसु सह तेण, तस्स तो वड्डियं वरं // 109 // मयणग्गिपवणवेसं, निम्मलआयारसाहुजणवेसं / केवललोह निवेसं, न सेवए सावओ वेसं // 110 // जंपंति महुरवयणं, वयंणं दंसंति चंदमिव सोमं। .. तह वि न वीससीयव्वं, नेहविमुक्काण वेसाणं // 111 // तह अम्मापिउमरणं, सोऊणं दुण्ह रायपुत्ताणं / मणसा वि न माणिज्जा, दुरहनिवेसाउ वेसाओ. // 112 // कामं कामंधेणं, न सावएणं कया वि होयव्वं / देहधणधम्मखयका-रिणी हि कामम्मि अइगिद्धी // 113 // जह नारीउ नराणं, तह ताण नरावि पासभूयाउ। तम्हा नारीउ वि हु, परपुरिसपसंगमुझंति // 114 // ते सुरगिरिणो वि गुरू, जेसि सीलेण निम्मला बुद्धि / गयसीलगुणे पुण सुण, मणुए तणुए तिणाओ वि // 115 // वग्घाइया भयट्ठा, दुट्ठा वि जिया न सीलवंताणं / नियच्छायं पि निरिक्खिय, सासंका हुँति गयसीला // 116 // जलणो वि जलं जलही-वि गोपयं विसहरा वि रज्जुओ। ' सीलजुआणं मत्ता, करिणो हरिणोवमा हुंति // 117 // ___. 237