________________ जे सच्चववहारा, तेसिं दुट्ठा वि नेव पहवंति / नाइक्कमंति आणं, ताणं दिव्वाई सव्वाइं . . // 94 // वयणम्मि जस्स वयणं, निच्चमसच्चं वहेइ वच्चरसो। सुद्धिए जलण्हाणं, कुणमाणं तं हसंति बुहा // 95 // मूयत्तणं पि मन्ने, सारं सारंभवयणसत्तीओ निम्मंडणं चिय वरं, जलंतअंगारसिंगारा - // 96 // सच्चेण जीओ जायइ; अप्पडिहयमहुरगुहिरवरवयणो। अलिएणं मुहरोगी, हीणसरो मम्मणो मूओं // 97 // दप्पेण अलियवयणस्स, जं फलं तं न सक्किमो वोत्तुं / दक्खिणालीएण वि, गओ वसू सत्तमं नरयं // 98 // तइयवयम्मि चइज्जा, सचित्ताचिंत्तथूलचोरिक्कं / तिणमाइतणुयतेणिय-मेसो पुण मोत्तुमसमत्थो // 99 // नासीकयं निहिगयं, पडियं वीसारियं ठियं नटुं। परअत्थं हीरंतो, नियअत्थं को विणासेइ // 10 // जं पइ मम त्ति जंपइ, तं तं जीवस्स बाहिरा पाणा। तिणमित्तं पि अदिन्नं, दयालुओ तो न गिण्हेइ // 101 // कुलकित्तिकलंककरं, चोरिक्कं मा करेह कइया वि / इह वसणं पच्चक्खं, संदेहो अत्थलाभस्स // 102 // काऊण चोरवित्ति, जे अबुहा अहिलसंति संपत्तिं / वसभक्खणेण जीविय-मिच्छंता ते विणस्संति // 103 // ते धन्ना सप्पुरिसा, जेसिं मणो पासिऊण परभूई। एसा पराभूइ चिय, एवं संकप्पणं कुणइ * // 104 // विहबंधरोहमच्चु, चोरिक्काओ हवंति इह लोए। . नरयनिवायधणक्खय-दारिद्दाइं च परलोए // 105 // 236