________________ // 70 // गयरागदोसमोहो, देवो छक्कायसंजया गुरुणो। केवलिभणिओ धम्मो, इय सम्मरुई य सम्मत्तं . पन्नवगस्साभावा, मइहेउअभावओ व दुग्गिज्जे। जो जिणवुत्ते भावे, सद्दहए तस्स सम्मत्तं - // 71 // सद्दहणरूवमेगहं, निसग्गउवएससंभवं दुविहं। उवसमिअखओवसमिअ - खाइअभेएहिं तं तिविहं // 72 // जह सउणाणं साही; जलाण जलही निही हिरण्णाणं / गयणं ताराण तहा, गुणाण सम्मत्तमाहारों // 73 // जंति न सिद्धिमभव्वा, अहिगयसुत्ता विसुद्धचरणा वि। तम्हा नाणचरित्ता, दंसणरित्ताण न हु फलया .. // 74 // इक्कत्तो धणकोडी, अन्नत्तो इक्कमेव सम्मत्तं / आसिवसुह हेउस्सय, न तस्स ताओ पहुप्पंति // 75 // विलसइ रंको वि सुरे-सरो व्व सम्मत्तनिच्छिय मईओ। राया वि रुलइ रंको व्व जेण पत्तं न सम्मत्तं .. // 76 // सद्दहण सुद्धि लक्खण, लिंग गुणा गार विणय जयणाणं / ठाण पभावण भावण, दोसाणं तं परिनाए // 77 // भवभमणुव्विग्गाणं, वीसामठाणमाइमं एयं। मित्थत्तमोहियमणा, लद्धं पि वमंति सम्मत्तं // 78 // ही धुत्तिउ व्व धत्तूरेउ व्व, कयकम्मणो व्व मुढो व्व। मिच्छत्तेणं जीवो, गणइ अहम्मं पि धम्मं व कारंति जीवहिंसं, हिंसं पि हु सग्गकारणं बिति। . मित्थत्तगहग्गहिया, इमं पि सच्चं ति मन्नति आयण्णिय वण्णियमंबडस्स पयडं पहावमवरेंहिं। नियनियमाउ न भट्ठा, समत्ते अकलुसा सुलसा . // 81 // 234 // 79 // // 80 //