________________ न किणे न किणावेई, न हणे न हणावइ / उज्जुत्तो संजमे जो उ, सव्वारंभविवज्जए // 329 // वाउ व्व अपडिबद्धो, गयणं व निरासओ। अहि व्व परघरे वासी, भारंडो वापमत्तओ // 330 // नीरनाहु व्व गंभीरो, मेरुव्व निप्पकंपओ / सीहो वा निब्भओ जो उ, सत्तभयविवज्जओ // 331 // छत्तीसगुणगणोवेओ, धम्माहम्मवियाणओ / अहम्माओ नियत्तेइ धम्ममग्गम्मि लायई // 332 // एयारिसो महाभागो, दुल्लहो सूरी भवनवे / बुड्डेतं तारए जो उ, अप्पणो वि. तरेइ य कईयाहं सो पुणो सूरी, लक्षूणं गुणसायरो / . निक्खमामि नरारंभो तस्स पायाण अंतिए // 334 // एयं पइदिणकिच्चं, समासओ देसयं तु सड्ढाणं / वित्थरओ नायव्वं, जह भणियं पुव्वसूरीहिं . // 335 // ताणं सुलद्धं खलु माणुसत्तं, जाईकुलं धम्मरहस्ससारं / अप्पेण अप्पं पडिलेहइत्ता, सम्मं पयर्टेति जे मुक्खमग्गे // 336 // एवं विहाणेण पयट्टमाणा, सुसावया सासणभत्तिमंता / अणेगजम्मंतरसंचिअं अघ, खवित्तु गच्छंति गई सुउत्तम।। 337 // अन्नाणेणं पमाएणं, मूढयाए तहेव य / . जं में विरइयं किंचि, आगमस्स विरुद्धयं / // 338 // तं पुत्तदुच्चरियं व, मज्झ सोहिंतु सूरिणो / दयं उवरि काऊणं, जं जं इत्थ असुद्धयं // 339 // किंची गुरूवएसेणं, किंचि य सुत्ता वियाहियं / सड्ढाणं दिणकिच्चं तु, मएणं मंदबुद्धिणा // 340 // 225