________________ // 209 // // 210 // // 211 // // 212 // // 213 // // 214 // साहम्मियाण वच्छल्लं, एयं अन्नं वियाहियं / धम्मट्ठाणेसु सीयंतं सव्वभावेण चोयए . सारणा वारणा चेव, चोयणा पडिचोयणा / सावएणा वि दायव्वा, सावयणं हियट्ठया रूसउ वा परो मा वा, विसं वा परियत्तउ / भासियव्वा हिया भासा, सपक्खगुणकारिया पमायमइरामत्तो, सुयसायरपारओ / अणंतं णंतकायम्मि, कालं सो वि य संवसे कल्लं पोसहसालाए, नेव दिट्ठो जिणालए / साहूणं पायमूलम्मि, केण कज्जेण साहि मे तओ य कहिए कज्जे, जइ पमायवसंगओ। वत्तव्यो सो जहाजोगं, धम्मियं चोयणं. इमं दुलहो माणुसो जम्मो, धम्मो सव्वन्नुदेसिओ। . साहुसाहम्मियाणं तु, सामग्गी पुण दुल्लहा . चलं जीयं धणं धनं, बंधुमित्तसमागमो / खणेण ढुक्कए वाही, ता पमाओ न जुत्तओ न तं चौरा विलुपंति, न तं अग्गी विणासए / तं जूए विहारिज्जा, जं धम्मम्मि पमत्तओ किण्हसप्पं करग्गेणं, घट्टए घुटए विसं / . . मिहाणं सो पमुत्तूणं, कायखंडं तु गिण्हई ता सोम ! तं वियाणंतो, भग्गं सव्वन्नुदेसियं / मायं जं न मिल्हेसि, तं सोइसि भवन्नवे एवंविहाहिं वग्गूहिं चोइयव्वो य सावओ / भाववच्छलयं एयं, कायव्वं दिणे दिणे 215 // 215 // // 216 // // 217 // // 218 // // 219 // // 220 //