________________ एयं मे अत्थसारं तु, एयं वत्थं पडिग्गहं / जं मए अज्ज साहूणं, निग्गंथाणं तु नीणियं // 185 // न कयावि पुनरहियाणं, गेहे इंति सुसाहुणो / निम्ममा निरहंकारा, खंता दंता जिइंदिआ // 186 // कत्थ मरुत्थलीसु कप्पपायवो, मायंगगेहे मत्तअइरावणो / दारिद्दगेहे य हिस्नवुट्ठी, तिमिस्स गुहाए रयणप्पईवो // 187 // कत्थ एयारिसो साहू, कत्थ अम्हारिस त्ति चिंतए / ता धनो सुकयत्थो हं, पूरा मज्झ मणोरहा // 188 // ता धन्नो सुकयत्थो हं, पुना मज्झ मणोरहा / जं मए परमभत्तीए, साहुणो पडिलाभिया // 189 // तओ परमभत्तीए वंदित्ता मुणिपुंगवे / / सव्वदाणप्पहाणाए, वसहीए निमंतए // 190 // दाणाण दाणं वसही पहाणं, तदाणओ जं सयलं पि दिन्नं / सज्झायज्झाणासणपाणओही, सुक्खं बलं वुड्ढिचरित्तसोही // 191 // इहेव जम्मम्मि सुकित्तिभोगा, हवंति सत्ताण जिणा भणंति / विमुक्कमोहाण सुसंजयाणं, जे दिति सत्ता वसहि पहिट्ठा // 192 / / देवा वि देवलोएसु, हुंति ते सुमहिड्डिया / इंदा वा इंदतुल्ला वा, दिति जे य उवस्सयं // 193 // अवंतीसुकुमालो य, वंकचूलो नराहिवो / उप्पला गणिया चेव, दिटुंता एवमाइया // 194 // लहंति सुक्खं तु अणुनतुलं, आउं सुदीहं अवमच्चुहीणं / सुदंसणा गाढसुगिज्झवक्का, विसाललच्छीइ जुया महप्पा // 195 // . वायंति सत्थं तह चिंतयंति, पाढंति भव्वे तह सावयंति / कुणंति वक्खाणमणनसत्ती, धन्नस्स गेहे मुणिणो सया वि // 196 // . 213