________________ // 161 // // 162 // // 163 // // 164 // // 165 // // 166 // सुद्धेणं चेव देहेणं धम्मजोग्गो य जायई / जं जं कुणइ किच्चं तु तं तं सफलं भवे अन्नहा अफलं होइ, जं जं किच्चं तु सो करे / ववहारसुद्धिरहिओ य, धम्मं खिसावए जओ धम्मखिसं कुणंताणं, अप्पणो य परस्स य / अबोही परमा होइ, इइ सुत्ते वि भासियं तम्हा सव्वपयत्तेणं, तं तं कुज्जा वियक्खणो / जेणं धम्मस्स खिसं तु, न करेइ अबुहो जणो कुसीलाणं तु संसग्गी, धम्मखिसाइकारणं / इह लोए परलोए य, महादुक्खाण दायगा वरं वाही वरं मच्चू, वरं दारिद्दसंगमो / वरं अरनवासो य, मा कुमित्ताण संगमो विसं हालाहलं भुत्तं, जह पाणा विणासए / एवं कुमित्तसंजोगो, दुक्खहेऊ न संसओ इक्कम्मि चेव जम्मम्मि, मारयंति विसाइणो / कुमित्ताणं तु संजोगो, जम्मे जम्मे दुहावहो कुमित्तसंगमाओ य, लहंती पाणिणो दुहं / सुमित्ताओ परं सुक्खं, इत्थं नायं दिवायरो तम्हा जे सीलसंजुत्ता, गीयत्था पावभीरुणो / ते मित्ता सव्वहा कुज्जा, इच्छंतो हियमप्पणो तओ भोयणवेलाए, आगयाइ सुसावओ / पुइत्ता जहसत्तीए गिहबिबाणि वंदए ढोइत्ता अग्गकूरं तु, तओ साहू निमंतए / दिट्ठा नियघरे इंता, तओ गच्छिज्ज संमुहो 211 // 167 // // 168 // // 169 // // 170 // // 171 // // 172 //