________________ दुब्भिगंधमलस्सावी, तणुरप्पेसण्हाविया / . दुहा वाउपहो चेव, तेणटुंति न चेइए // 149 // तिन्नि वा कड्डइ जाव, थुईओ तिसिलोईया / ताव तत्थ अणुनायं, कारणेण परेण वि // 150 // निस्सकडे वा ठाइ, गुरु कइवयसहिओ इयरा व वसहि / अह तत्थ अनिस्सकडं, पूरिति तहिं समोसरणं // 151 // उसन्नावि तत्थेव, इंती चेइयवंदया। तेसिं निस्साइ त भवणं, सड्डाईहिं कयं परं // 152 // सेहाणं मंदसद्धाणं, दटुं ताणं तु चिट्ठियं / . मंदा सड्ढा जओ होइ, अणुट्ठाणे जिणाहिए // 153 // एएवि साहुणो लोए, अम्हे वि मलकिण्णया / एएण कारणेणं तु, वसहि पेसंति साहुणो // 154 // विहिणा तत्थ वंदित्ता, सुणित्ता धम्मदेसणं / तओ य घरवावारे, कुणई सुद्धे सुसावओ // 155 // लक्खं विसं च लोहं च इंगाल-वणछेयणं / . भाडि फोडिं च, वज्जिजा दंतसंखवणिज्जयं // 156 // वज्जे रसकेसवाणिज्जं, तहा जंताण पीलणं / सर-दह-तलायसोसं, दवग्गिदावणयं तह // 157 // कूडं माणं तुलं चेव, वज्जे तप्पडिरूवयं / लोए लोउत्तरे चेव, निदियं जं वणिज्जयं // 158 // ववहारसुद्धी धम्मस्स, मूलं सव्वन्नु भासए / ववहारेणं सुद्धेणं, अत्थसुद्धी जओ भवे // 159 // सुद्धणं चेव अत्थेणं, आहारो होइ सुद्धओ / . आहारेणं तु सुद्धेणं, देहसुद्धी जओ भवे . // 160 // 210