________________ धम्मं सो न याणेइ जिणं वा वि जिणागमं / भक्खेइ जो उविक्खइ, जिणदव्वं तु सावओ // 113 // अहवा नरयाउयं तेण, बद्धं चेव न संसओ / तत्तो वि सो चुओ संतो, दारिदेण न मुच्चइ // 114 // पमायमित्तदोसेणं, जिणरित्था जहा दुहं / / पत्तं संकाससड्ढेणं, तहा अन्नो वि पाविही // 115 // संकास गंधिलावइ, सक्कवयारम्मि चेइए कह वि / चेइय दव्वुवओगी पमायओ मरणसंसारे // 116 // तण्हाछुहाभिभूओ, संखिज्जे हिंडिऊण भवगहणे / घयणवायणचुनण-वियणाउ पाविउं बहुसो // 117 // दारिद्दकुलुप्पत्ति, दरिद्दभावं च पाविउं बहुसो / बहुजणधिक्कारं तह, मणुएसु वि पाविउं बहुसो // 118 // तगराए इब्भसुओ, जाओ तक्कम्मसेसयाओ अ / दारिदमसंपत्ति, पुणो पुणो चित्तनिजव्वेओ. // 119. // केवलिजोगे पुच्छा, कहणे बोही तहेव संवेओ / किं इत्थमुचियमिण्डिं, चेइयदव्वस्स वुड्डि त्ति // 120 // गासच्छायणमित्तं, मुत्तुं जं किंचि मज्झ तं सव्वं / चेईयदव्वं नेअं, अभिग्गहो जावजीवाए // 121 / / सुहभावपवित्तीए संपत्तीऽभिग्गहम्मि निच्चलया / चेईहरकास्वणं, तत्थ सयाभोगपरिसुद्धी // 122 // निट्ठीवणाइकरणं, असक्काहाणुचिय आसणाई य / आययणम्मि अभोगो, इत्थ देवा उदाहरणं // 123 // देवहरयम्मि देवा, विसयविसमोहिया वि न कया वि / अच्छरसाहिं पि समं, हासखिड्डाइं वि न कुणंति // 124 // ..... . 207