________________ एवं विही इमो सव्वो, रिद्धिमंतस्स देसिओ। . इयरो नियगेहम्मि, काउं सामाइयं वयं . // 77 // जइ न कस्सावि धारेइ, न विवाओ य विज्जए / उवउत्तो सुसाहुव्व, गच्छए जिणमंदिरं // 78 // काएण अस्थिज्जइ, किंचि कायव्वं जिणमंदिरे / तओ सामाइयं मुत्तुं, करेइ जं करंणिज्जयं // 79 // अह धम्मदेसणत्थं च, तत्थ सूरी समागओ / पुव्वं पच्छा व दायव्वं, विहिणा वंदणं,जओ // 80 // नीयागोयं खवे कम्म, उच्चगोयं निबंधए / सिढिलं कम्मगंठिं तु, वंदणेणं नरो करे // 81 // तित्थयरत्तं सम्मत्त-खाइयं तह सत्तमीइ तइयाए / आउं वंदणएणं, बद्धं च दसारसीहेण , // 82 // विणओवयार 1 माणस्स भंजणा 2 पूयणा गुरुजणस्स 3 / तित्थयराण य आणा 4 सुयधम्माराहणा 5 किरिया 6 // 83 // पच्चक्खाणं तु काऊण, पुच्छए सेसकिच्चयं / . कायव्वं च मणे काउं तओ, अण्णं करे इमं // 84 // साहुसाहूणिमाईणं, काऊणं च जहोचियं / समणोवासगमाईणं, वंदं वंदं ति जंपई // 85 // नासन्ने नाइदूरम्मि नेव, उच्चासणे विऊ / समासणं तु वज्जिज्जा, चिट्ठिज्जा धरणीयले // 86 // न पक्खओ न पुरओ नेव किच्चाण पिट्ठउ / न य ऊरूं समासिज्जा चिट्ठिज्जा गुरुणंतिए नेव पल्हत्थियं कुज्जा, पक्खपिंडं च संजए / * . पाए पसारए वावि, न चिटे गुरूणंतिए . // 88 // 204 ..|| 87 //