________________ // 58 // मुत्तूण जं किंचि वि देवकज्जं, नो अन्नमत्थं तु विचितइज्जा / . इत्थीकहं भत्तकहं विवज्जे, देसस्स स्नो न कहं कहिज्जा॥ 53 // मम्माणुवेहिं न वइज्ज वकं, न जम्मकम्माणुगयं विरुद्धं / नालीयपेसुनसुकक्कसं वा, थोवं हिअं धम्मपरं लविज्जा // 54 // जो होइ निसिद्धप्पा, निसीहिया तस्स भावओ होइ / . अनिसिद्धस्स निसीहिय, केवलमित्तं भवइ सद्दो // 55 // मिहोकहा उ सव्वा उ, जो वज्जेइ जिणालए / तस्स निसीहिया होइ, इइ केवलिभासियं // 56 // पुणो निसीहियं काउं, पविसई जिणमंदिरे / पुव्वुत्तेण विहाणेण, कुणइ पूयं तओ विऊ // 57 // कायकंडूयणं वज्जे, तहा खेलविगिचणं / थुइथुत्तभणनं चेव, पूयंतो जगबंधुणो' घुसिणकप्पूरमीसं तु, काउं गंधोदगं वरं / तओ भुवणनाहे उ, एहवेइ भत्तिसंजुओ // 59 // गंधोदएण ण्हवणं, विलेवणं पवरपुप्फमाईहिं। कुज्जा पूर्य फलेहिं, वत्थेहिं आभरणमाईहिं // 60 // सुकुमालेण वत्थेणं, सुगंधेणं तहेव य / गायाई विगयमोहाणं, जिणाणमणुलुहए // 61 // कप्पूरमीसियं काउं, कुंकुम चंदणं तहा / तओ य जिणबिंबाणि, भावेण मणुलिंपए // 62 // वन्नगंधोवमेहिं च, पुप्फेहिं पवरेहि य / नाणापयारबंधेहिं, कुज्जा पूर्व वियक्खणो // 63 // वत्थगंधेहिं पवरेहिं, हिययाणंददायए। .. जिणे भुवणमहिए, पूयए भत्तिसंजुओ // 64 // 202