________________ जइविस्सामण 20 मुचिओ, जोगो नवकारचिंतणाईओ 21 / गिहगमणं 22 विहिसयणं, सरणं गुरुदेवयाईणं 23 // 5 // अब्बंभे पुण विरई, मोहदुगंछा 24 संतत्तचिंता य / .. इत्थीकडेवराणं 25, तव्विरएसुं च बहुमाणो 26 // 6 // बाहगदोसविवक्खे 27, धम्मायरिए य उज्जुयविहारे 28 / एसो दिणकिच्चस्स उ, पिंडत्थो से समासेणं // 7 // निसाविरामम्मि विबुद्धएणं, सुसावएणं गुणसायरेणं / देवाहिदेवाण जिणुत्तमाणं, किच्चो पणामो विहिणायरेणं // 8 // सिज्जाट्ठाणं पमुत्तूणं, चिट्ठिज्जा धरणीयले। . . भावबंधुं जगन्नाहं, नमुक्कारं तओ पढे मंताण मंतो परमो इमु त्ति, धेयाण धेयं परमं इमु त्ति / तत्ताण तत्तं परमं पवित्तं, संसारसत्ताण दुहाहयाणं // 10 // ताणं अन्नं तु नो अस्थि, जीवाणं भवसारये / बुडुंताणं इमं मुत्तुं, नमुक्कारं सुपोययं अणेगजम्मंतरसंचियाणं, दुहाण सारीरियमाणसाणं / कत्तो अ भव्वाण भविज्ज नासो, न जाव पत्तो नवकारमंतो // 12 // जलणाइ भए सव्वं, मुत्तुं एगं पि जहा महारयणं / अहवाऽरिभए गिण्हइ, अमोहसत्थं जह तहेह // 13 // मुत्तुं पि बारसंगं, स एव मरणम्मि कीरए जम्हा / अरिहंतनमुक्कारो, तम्हा सो बारसंगत्थो // 14 // तप्पणईणं तम्हा, अणुसरियव्वो सुहेण चित्तेण / . एसो व नमुक्कारो, कयन्नुयं मन्नमाणेणं // 15 // नवकाराओ अन्नो, सारो मंतो न अस्थि तियलोए / तम्हा हु अणुदिणं चिय, पढियव्वो परमभत्तीए / // 16 // 198