________________ // 396 // // 397 // // 398 // दड्ढम्मि जहा बीए न होइ पुण अंकुरस्स उप्पत्ती। तह चेव कम्मबीए भवंकुरस्सावि पडिकुट्ठा / जम्माभावे न जरा न य मरणं न य भयं न संसारो / एएसिमभावाओ कहं न सुक्खं परं तेसिं अव्वाबाहाउ च्चिय सयलिंदियविसयभोगपज्जते / उस्सुक्कविणिवत्तीइ संसारसुहं व सद्धेयं इयमित्तरा निवित्ती सा पुण आवकहिया मुणेयव्वा / भावा पुणो वि नेयं एगंतेणं तई नियमा इय अणुहवजुत्तीहेउसंगयं हंदि निट्ठियट्ठाणं / अस्थि सुहं सद्धेयं तह जिणचंदागमाओ य जं उद्धियं सुयाओ पुव्वाचरियकयमहव समईए। . खमियव्वं सुयहरेहि तहेव सुयदेवयाए य // 399 // // 400 // // 401 // पू.आ.श्रीदेवेन्द्रसूरिविचरितम् // श्राद्धदिनकृत्यम् // वीरं नमिऊण तिलोयभाणु, विसुद्धनाणं सुमहानिहाणं / वुच्छामि सड्ढाण दिणस्स किच्चं, जिणिंदचंदाण य आगमाओ // 1 // नवकारेण विबोहो 1 अणुसरणं सावओ.२ वयाई मे 3 / जोगो 4 चिइवंदणमो 5 पच्चक्खाणं य विहिपुव्वं 6 // 2 // तह चेईहरगमणं 7, सक्कारो 8 वंदणं 9 गुरुसगासे / पच्चक्खाणं-१० सवणं 11, जइपुच्छा 12 उचियकरणिज्जं 13 // 3 // अविरुद्धो ववहारो 14, काले तह भोयणं 15 च संवरणं 16 / चेइहरागमसवणं 17, सक्कारो 18 वंदणाईयं (इंच) 19 // 4 // 190