________________ // 384 // // 385 // // 386 // // 387 // . // 388 // // 389 // जं चाइयारसुत्तं समणोवासगपुरस्सरं भणियं / तम्हा न इमीइ जई परिणामा चेव अवि य गिही . इहपरलोगासंसप्पओग तह जीयमरणभोगेसु / वज्जिज्जा भाविज्ज य असुहं संसारपरिणाम जिणभासियधम्मगुणे अव्वाबाहं च तप्फलं परमं / एवं उ भावणाओ जायइ पिच्चा वि बोहि त्ति कुसुमेहि वासियाणं तिलाण तिल्लं पि जायइ सुयंधं / एतोवमा हु बोही पन्नत्ता वीयरागेहिं , कुसुमसमा अब्भासा जिणधम्मस्सेह हुंति नायव्वा / तिलतुल्ला पुण जीवा तिल्लसमो पिच्च तब्भावो इय अप्परिवडियगुणाणुभावओ बंधहासभावाओ / पुव्विल्लस्स य खयओ सासयसुक्खो धुवो मुक्खो समत्तम्मि य लद्धे पलियपहुत्तेण सावओ हुज्जा। चरणोवसमक्खयाणं सागरसंखंतरा हंति एवं अप्परिवडिए संमत्ते देवमणुयजम्मेसु / अन्नयरसेढिवज्जं एगभवेणं च सव्वाइं रागाईणमभावा जम्माईणं असंभवाओ य। . अव्वाबाहाओ खलु सासयसुक्खं तु सिद्धाणं रागो दोसो मोहो दोसाभिस्संगमाइलिंग त्ति / अइसंकिलेसरूवा हेऊ वि य संकिलेसस्स एएहभिभूआणं संसारीणं कुओ सुहं किंचि / जम्मजरामरणजलं भवजलहिं परियडताणं रागाइविरहओ जं सुक्खं जीवस्स तं जिणो मुणइ। न हि सन्निवायगहिओ जाणइ तदभावजं सातं // 390 // // 391 // // 392 // // 393 // // 394 // // 395 // 16