________________ // 348 // // 349 // // 350 // // 351 // // 352 // // 353 // गाण उवगाराभावम्मि वि पुज्जाणं पूयगस्स उवगारो / मंताइसरणजलणाइसेवणे जइ तहेहं पि देहाइनिमित्तं पि हु जे कायवहम्मि तह पयर्टेति / जिणपूयाकायवहम्मि तेसिं पडिसेहणं मोहो सुत्तभणिएण विहिणा गिहिणा निव्वाणमिच्छमाणेण / लोगुत्तमाण पूया निच्चं चिय होइ कायव्वा गुरुसक्खिओ उ धम्मो संपुन्नविही कयाइ य विसेसो। तित्थयराण य आणा साहुसमीवम्मि वोसिरउ सुणिऊण तओ धम्मं अहाविहारं च पुच्छिउमिसीणं / काऊण य करणिज्जं भावम्मि तहा ससत्तीए तत्तो अणिदियं खलु काऊण जहोचियं अणुट्ठाणं / भुत्तूण जहा विहिणा पच्चक्खाणं च काऊण सेविज्ज तओ साहू करिज्ज पूयं च वीयरागाणं / चिइवंदण सगिहागम पइरिक्कम्मि य तुयट्टिज्जा उस्सग्गबंभयारी परिमाणकडो उ नियमओ चेव / सरिऊण वीयरागे सुत्तविबुद्धो विचिंतिज्जा भूएसु जंगमत्तं तेसु वि पंचेन्दियत्तमुक्कोसं / तेसु वि अ माणुसत्त मणुयत्तेआरिओ देसो .. देसे कुलं पहाणं कुले पहाणे य जाइ उक्कोसा। ...तीइ .वि रूवसमिद्धी रूवे य बलं पहाणयरं होइ बले वि य जीयं जीए वि पहाणयं तु विन्नाणं / . विनाणे सम्मत्तं सम्मत्ते सीलसंपत्ती सीले खाइयभावो खाइयभावे य केवलं नाणं / केवलिए पडिपुन्ने पत्ते परमक्खरे मुक्खो ... 183 // 354 // // 355 // // 356 // // 357 // // 358 // // 359 //