________________ // 336 // // 337 // // 338 // // 339 // // 340 // // 341 // आह कहं पुण मणसा करणं कारावणं अणुमई य। जह वइतणुजोगेहिं करणाई तह भवे मणसा तयहीणत्ता वयतणुकरणाईण अहवा उ मणकरणं। सावज्जजोगमणणं पन्नत्तं वीयरागेहि कारवणं पुण मणसा चिंतेइ करेउ एस सावज्जं / चितेई य कए पुण सुठुकयं अणुमई होइ / निवसिज्ज तत्थ सड्ढो साहूणं जत्थ होइ संपाओ। चेइयघराइ जत्थ य तयन्नसाहम्मिया चेव' साहूण वंदणेणं नासइ पावं असंकिया भावा। फासुयदाणे निज्जर उवग्गहो नाणमाईणं मिच्छादसणमहणं सम्मइंसणविसुद्धिहेडं च / चिइवंदणाइ विहिणा पन्नत्तं वीयरागेहिं ' साहम्मियथिरकरणं वच्छल्ले सासणस्स सारो त्ति / मग्गसहायत्तणओ तहा अणाओ य धम्माओ . नवकारेण विबोहो अणुसरणं सावओ वयाइम्मि। जोगो चिइवंदणमो पच्चक्खाणं च विहिपुव्वं गोसे सयमेव इमं काउं तो चेइयाण पूयाई / साहुसगासे कुज्जा पच्चक्खाणं अहागहियं / पूयाए कायवहो पडिकुट्ठो सो अ नेव पुज्जाणं / उवगारिणि त्ति तो सा नो कायव्व त्ति चोएइ आह गुरू पूयाए कायवहो होइ जइ वि हु जिणाणं / तह वि तई कायव्वा परिणामविसुद्धिहेऊओ भणियं च कूवनायं दव्वत्थवगोयरं इहं सुत्ते। निययारंभपवत्ता जं च गिही तेण कायव्वा // 342 // // 343 // // 344 // // 345 // // 346 // // 347 // 12