________________ // 96 // // 97 // // 98 // // 99 // // 100 // ." // 101 // जं साइयारमेयं खिप्पं नो मुक्खसाहगं भणिअं। तम्हा मुक्खट्ठी खलु वज्जिज्ज इमे अईयारे आह सुहे परिणामे पइसमयं कम्मखवणंओ कह णु। होइ तह संकिलेसो जत्तो एए अईयारा नाणावरणादुदया तिव्वविवागा उ भंसणा तेसिं। सम्मत्तपुग्गलाणं तहासहावाउ किं न भवे नेगंतेणं चिय जे तदुदयभेया कुणंति ते मिच्छं। तत्तो हुंतिऽइयारा वज्जेयव्वा पयत्तेणं , जे नियमवेयणिज्जस्स उदयओ होन्ति तह कहं तेउ। वज्जिज्जति इह खलु, सुद्धेणं जीवविरिएणं कत्थइ जीवो बलीओ कत्थइ कम्माइ हुंति बलियाई। जम्हा णंता सिद्धा, चिटुंति भवम्मि वि अणंता अच्चंतदारुणाई कम्माइं खवित्तु जीवविरिएणं। सिद्धिमणंता सत्ता पत्ता जिणवयणजणिएणं तत्तो णंतगुणा खलु कम्मेण विणिज्जिआ इह अडंति / सारीरमाणसाणं दुक्खाणं पारमलहंता तम्हा निच्चसईए बहुमाणेणं च अहिगयगुणम्मि। पडिवक्खदुगंच्छाए परिणइ आलोयणेणं च तित्थंकरभत्तीए सुसाहुजणपज्जुवासणाए य / उत्तरगुणसद्धाए, अपमाओ होइ कायव्वो पंच उ अणुव्वयाइं थूलगपाणिवहविरमणाईणि / तत्थ पढम इमं खलु पनत्तं वीयरागेहिं थूलगपाणिवहस्साविरई, दुविहो अ सो वहो होइ। संकप्पारंभेहि य, वज्जइ संकप्पओ विहिणा . ૧૦ર // 102 // // 103 // // 104 // // 105 // // 106 // // 10 //