________________ // 84 // // 85 // मा . // 86 // // 87 // // 88 // // 89 // एयमिह सद्दहंतो सम्मद्दिट्ठी तओ अ नियमेण / भवनिव्वेयगुणाओ पसमाइगुणासओ होइ . विवरीयसद्दहाणे मिच्छाभावाओ नत्थि केइ गुणा / अणभिनिवेसो उ कयाइ होइ सम्मत्तहेऊ वि सम्मत्तस्सइयारा संका कंखा तहेव वितिगिच्छा। परपासंडपसंसा संथवमाई य नायव्वा संसयकरणं संका कंखा अन्नन्नदंसणग्गाहो / संतम्मि वि वितिगिच्छा सिज्झिज्ज न मे अयं अट्ठो परपासंडपसंसा सक्काइणमिह वनवाओ उ।। तेहिं सह परिचओ जो स संथवो होइ नायव्वो संकाए मालिनं जायइ चित्तस्स पच्चओ अ जिणे / सम्मत्ताणुचिओ खलु इइ अइआरो भवे संका / नासइ इमीइ नियमा तत्ताभिनिवेस मो सुकिरिया य / तत्तो अ बंधदोसो तम्हा एयं विवज्जिज्जा इह लोगम्मि वि दिट्ठो संकाए चेव दारुणो दोसो। अविसयविसयाए खलु पेयापेया उदाहरणं एवं कंखाईसु वि अइयारत्तं तहेव दोसा य / जोइज्जा नाए पुण पत्तेयं चैव वुच्छामि ण्यामच्चो विज्जासाहगसड्ढगसुया य चाणक्को / सोटुसावओ खलु नाया कंखाइसु हवन्ति अन्ने वि य अइयारा आइसद्देण सूइया इत्थ / साहमिअणुववूहणमथिरीकरणाइया ते उ नो खलु अप्परिवडिए निच्छयओ मइलिएव सम्मत्ते। . होइ तओ परिणामो जत्तो णुववूहणाईया // 90 // // 91 // // 92 // // 93 // // 94 // // 95 // 101