________________ // 60 // // 61 // // 62 // // 63 // // 64 // // 65 // एवंविहपरिणामो सम्मट्ठिी जिणेहिं पन्नत्तो। एसो य भवसमुदं लंघइ थोवेण कालेण . जं मोणं तं सम्मं जं सम्मं तमिह होइ मोणं ति। निच्छयओ इयरस्स उ सम्म सम्मत्तहेऊ वि तत्तत्थसदहाणं सम्मत्तं तम्मि पसममाईया। पढमकसाओवसमादविक्खया हुंति नियमेण जीवाजीवासवबंधसंवरा निज्जरा य मुक्खो य / तत्तत्था इत्थं पुण दुविहा जीवा समक्खाया संसारिणो य मुत्ता संसारी छव्विहा समासेण / पुढवीकाइअमादि तसकायंता पुढोभेया भव्वाहारगपज्जत्तसुक्कसोवक्कमाउया चेव / सप्पडिपक्खा एए भणिया कम्मट्ठमहणेहिं भव्वा जिणेहि भणिया इह खलु जे सिद्धिगमणजोगाउ। ते पुण अणाइपरिणामभावओ हुंति नायव्वा विवरिया उ अभव्वा न कयाइ भवनवस्स ते पारं / गच्छिंसु जंति व तहा तत्तु च्चिय भावओ नवरं विग्गहगइमावना केवलिंणो समुहया अजोगी य / सिद्धा य अणाहारा सेसा. आहारगा जीवा एगाइ तिन्निसमया तिनेवऽन्तोमुत्तमित्तं च / साई अपज्जवसियं कालमणाहारगा कमसो नारयदेवा तिरिमणुय गब्भया जे असंखवासाऊ / एए य अपज्जत्ता उववाए चेव बोद्धव्वा सेसा उ तिरियमणुया लद्धि पप्पोववायकाले य। उमओ वि अ भइअव्वा पज्जत्तियरे त्ति जिणवयणं // 66 // // 67 // // 68 // // 69 // // 70 // // 71 // 19