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________________ // 104 // // 105 // // 106 // // 107 // // 108 // // 109 // जाणंतस्स वि एवं अनिवित्तीपच्चओ बहू बंधो / तह वि न करेइ माणं दिया व राओ पमाएणं चाउम्मासावहिणा बहुयं गहियं न तस्स संपत्ती / एवं नाउं विहिणा संखेवं कुणइ राईए एगमुहत्तं दिवसं राई पंचाहमेव पक्खं वा / वयमिह धारेउ दढं जावइयं उस्सहे कालं आणयण पेसणे वि य पओग तह सद्दरूववाए य / बहिपोग्गलपक्खेवो पंचऽइयारे परिहरेज्जा सव्ववयाण निवित्तिं दियहं काऊण तक्खणा चेव / आउट्टियाएँ भंगं निरवेक्खो सव्वहा कुणइ सव्वे य सव्वसंगहि वज्जिए साहुणो नमंसिज्जा / सव्वेहिं जेहि सव्वं सावज्जं सव्वहा चत्तं पोसहउववासो पुण आहाराई नियत्तणं जं च / कायव्वो सो नियमा अट्ठमिमाईसु पव्वेसु . आहारदेहसकारबंभवावारपोसहो चउहा / एकेको वि य दुविहो देसे सव्वे य नायव्वो विरइफलं नाऊणं भोगसुहासाउ बहुविहं दुक्खं / साहुसुहकोउएण य पडिपुण्णं पोसहं कुणइ जे पोसहं तु काउं चइया य परीसहेहि भज्जंति / नालोएंति य भग्गं भमंति भवसायरे भीमे धीरा य सत्तिमंता पोसहनिरया लहंति परमगई / दिटुंतो इह संखो आणंदो जणमणाणंदो जहसत्तीए उ तवं करेइ ण्हाणाइ परिमियं चेव / दियबंभयारी रत्तिं मियं च वावारं संखेवे 171 // 110 // // 111 // // 112 // // 113 // // 114 // // 116 //
SR No.004460
Book TitleShastra Sandesh Mala Part 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2005
Total Pages354
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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