________________ सावज्जजोगवज्जण निरवज्जस्सेह सेवणं जं च / सव्वेसु य भूएसुं समयाभावो अ सामइयं // 92 // सम्मत्त सुयं तह देसविरई तिविहं गिहीण सामइयं / इत्तरियमावकहियं अहवा दुविहं तयं नेयं // 93 // कम्मखओवसमेणं कयसामइओ जइव्व सो सम्म / इय लाभदंसणेणं पुणो पुणो कुणइ सामइयं . // 94 // सामाइयं च पडिवज्जिऊण भज्जति कम्मदोसेणं / ते कंडरीयसरिसा भमंति संसारकतारं , // 95 // सिवसग्गपढमकारण सामाइयसंगमं तु काऊण / सागरचंदसुदंसण हेऊय चयंति नो पत्तं . // 96 // धम्मज्झाणोवगओ जियकोहाई जिंइंदिओ धीरो / सुस्साहु पेसणरओ जयणपरो होइ सत्तीए // 97 // मणवइकायाणं पुण दुप्पणिहाणं विवज्जए सड्ढो / सामाइयसइअकरण अणवट्ठिअकरणमइयारो // 98 // दुप्पणिहाणं काउं न देइ मिच्छुक्कडं ति भावेणं / कुणइ य अइप्पसंगं तस्स फुडं होइ भंगोऽत्थ // 99 // सव्वं चिय सावजं तिविहं तिविहेण वज्जियं जेहिं / जावज्जीवं तेसिं नमामि भत्तीएँ कमकमलं // 100 // देसावकासियं पुण संखेवो जत्थ पुव्वगहियस्स / जह विसपन्नगदिट्ठो संखिवई वाइओ कोई // 101 // संवच्छराइगहियं पभायसमए पुणो वि संखिवइ / राओ तं पि य नियमइ भेएण विसिट्ठतरमेव // 102 // एगविहं तिविहेणं सव्ववयाणं करेइ संखेवं / ' अहवा जहासमाही गंठीनवकारपरिमाणं / // 103 // 160